Tuesday 29 November 2016

ऐड्स कैसे होता है यौन सम्भोग से संक्रमित इन्फैक्शन / यौन रोग

ऐड्स कैसे होता है
यौन सम्भोग से संक्रमित इन्फैक्शन / यौन रोग


HIV AIDS and Precaution.

यौन सम्भोग से संक्रमित इन्फैक्शन / यौन रोग : एच आई वी और एड्स


एच आई वी और एड्स क्या है?

एड्स का अर्थ है अर्जित रोधन अभाव संलक्षण (Acquired Immune Deficiency Syndraoure) एड्स एच आई वी (मानव की रोधनक्षमता को कमजोर करने वाला वायरस) से होता है जो कि शरीर की रोधनक्षमता पर प्रहार करताहै जिसका काम शरीर को छूत या संक्रामक रोगों से बचाना होता है। इस सुरक्षा कवच के बिना एड्स वाले लोग भयानक छूत के रोगों और कैंसर आदि से पीड़ि हो जाते हैं।


एड्स कैसे फैलता है?

एक संक्रमित व्यक्ति से एच आई वी क छूत दूसरे व्यक्ति तक वीर्य, योनि स्राव अथवा रक्त के देने-लेने से पहुंचती है। यह (1) यौन परक सम्भोग (2) एक इंजैक्शन की सुई का दूसरे व्यक्ति के लिए प्ररयोग करने से (3) एक संक्रमित मां से उसके बच्चे को जन्म या उसके आसपास के समय में पहुंचाता है।यौन सम्भोग से संक्रमित इन्फैक्शन / यौन रोग : एच आई वी और एड्स एच आई वी और एड्स क्या है? एड्स का अर्थ है अर्जित रोधन अभाव संलक्षण (Acquired Immune Deficiency Syndraoure) एड्स एच आई वी (मानव की रोधनक्षमता को कमजोर करने वाला वायरस) से होता है जो कि शरीर की रोधनक्षमता पर प्रहार करताहै जिसका काम शरीर को छूत या संक्रामक रोगों से बचाना होता है। इस सुरक्षा कवच के बिना एड्स वाले लोग भयानक छूत के रोगों और कैंसर आदि से पीड़ि हो जाते हैं। एड्स कैसे फैलता है? एक संक्रमित व्यक्ति से एच आई वी क छूत दूसरे व्यक्ति तक वीर्य, योनि स्राव अथवा रक्त के देने-लेने से पहुंचती है। यह (1) यौन परक सम्भोग (2) एक इंजैक्शन की सुई का दूसरे व्यक्ति के लिए प्ररयोग करने से (3) एक संक्रमित मां से उसके बच्चे को जन्म या उसके आसपास के समय में पहुंचाता है। क्या मौखिक सम्भोग से एच आई वी की छूत लग सकती है? हालांकि मौखिक सम्भोग से भी संक्रमण की सम्भावना रहती है परन्तु औरत या पुरूष के साथ असुरक्षित यौन सम्बन्ध रखने से जरो खतरा होता है वह कहीं अधिक रहता है। क्या गुदापरक असुक्षित सम्भोग से योनिपरक एवं मौखिक सम्भोग की अपेक्षा एच आई वी का खतरा अधिक रहता है? अन्य किसी प्रकार के यौन सम्भोगों की अपेक्षा असुरक्षित गुदापरक सम्भोग में निश्चय ही खतरा अधिक रहता है। मलाशय के अस्तर में योनि की अपेक्षा कम सैल होते हैं, इसलिए उसमेंचोट लग सकती है और सम्भोग के समय रक्त निकल सकता है। वहां से वह संक्रमित वीर्य या रक्त शरीर के मुख्य रक्त प्रवाह में प्रवेश पा सकता है। एच आई वी किस प्रकार से नहीं फैलता? प्रतिदिन के सामाजिक सम्पर्कों से एच आई वी दूसरे तक नहीं पहुंचता जैसे कि (1) एक ही टॉयलेट का प्रयोग (2) बर्तनों की साझ्दारी (3) सामाजिक अभिव्यक्ति हाथ मिलाना, गले मिलना आदि (4) मच्छर जैसे कीड़ों के काटने या पालतू पशुओं से (5) खांसी/छीकों से। टैटू लगवाते हुए, शरीर मे कोई छेद कराते हुए या नाई के पास जाने में क्या एच आई वी की छूत लग सकने का कोई खतरा होता है? यदि रक्त से सने ....औजारों को एक ग्राहक से दूसरे ग्राहक को लगाने से पहले रोगाणुविहीन न किया जाए तो एच आई वी क छूत लगने का खतरा रहता है। एक बार प्रयोग करके फेंक दिए जाने वाले ब्लेडों का इस्तेमाल करके इससे बचा जा सकता है। क्या चुम्बन द्वारा एच आई वी संक्रमण होता है? एच आई वी सेसंक्रमित लोगों के मुख की लार में हालांकि वाइरस हो सकता है पर लार से एच आई वी का संक्रमण नहीं होता। यदि सम्भोग के साथियों के मुंह में कुछ कटा हो या दाने हो या मसूड़ों से खून आ रहा हो तो हो सकता है कि संक्रमित खून दूसरे में चला जाये इसलिए गहन चुम्बन से परहेज करना चाहिए। यदि मुझे एच आई वी है तो कैसे पता चलेगा? एक बहुत ही साधारण सी रक्त की जांच होती है उसे कराने से पता चलता है। इसे एच आई वी ऐन्टीबॉडी टैस्ट कहते हैं। ऐन्टीबॉडी पैदा करके आपका शरीर वाइरस की उपस्थिति के प्रति प्रतिक्रिया करता है। इन ऐन्टीबॉडी को ढूंढ निकालने वाले टैस्ट से पता चलता है कि आप संक्रमित हैं। एच आई वी टैस्टिंग में 'विंडो पीरियड' क्या होता है? रक्त में दिखाई देने में इन ऐन्टीबॉडी को 14 सप्ताह या उसे भी अधिक समय लगता है। इस दौरान अगर टैस्ट करवाया जाये तो उसमें वे नहीं दिखेंगे जब कि वास्तव में आप वाइरस से प्रभावत हो सकते हैं। एच आई वी और एड्स में क्या अन्तर है? एड्स एच आई वी संक्रमण की अत्यन्त विकसित स्थिति है। संक्रमण के एकदम बाद क्या लक्षण प्रकट होते हैं? एच आई वी एड्स से संक्रमित होने पर कई लोगों में कोई लक्षण दिखाई नहीं देते। वाइरस के सम्पर्क मे आने के कई दिन या हफ्तों के बाद कुछ लोगों में फ्लू जैसा बीमारी के लक्षण दीखते हैं। वे बुखार, सिरदर्द, थकावच और गले की बड़ी हुई ग्रन्थियों की शिकायत करते हैं। एड्स के ये लक्षण सामान्यतः कुछ सप्ताह बाद अपने आप गायब हो जाते हैं। रोग को पनपने में कितना समय लगता है? इसके पनपने का समय हर व्यक्ति में अलग-अलग लगता है। यह स्थिति कुछ महीनों से लेकर दस साल तक चल सकती है। इस अवधि में वाइरस सक्रिय होकर गुणीभूत होता जाता है और रोधनक्षमता के सैल्स को नष्ट कर देता है, शरीस में संक्रमणों से जूझने वाले सीडी 4+ या टी 4 सैल को नष्ट कर देता है। एच आई वी/एड्स के लक्षण ...
..क्या हैं? एक बार जब शरीर की रोधन क्षमता कमजोर हो जाती है, एच आई वी एड्स से संक्रमित व्यक्ति में निम्नलिखित लक्षण दिखाई देते हैं - (1) ऊर्जा की कमी (2) वजन घटना (3) बार-बार बुखार और पसीना (4) देर तक या बार बार होने वाली फंगल की छूत (5) देर तक रहने वाला डॉयरिया (6) कुछ समय के लिए विस्मृति (7) मुख, जननेन्द्रिय और गुदा में फोड़े (8) खांसी और श्वास फूलना। मुझे लगता है कि हो सकता मुझे एच आई वी या एड्स हो। मुझे क्या करना चाहिए? अगर तुम्हें ऐसा लगता है या कोई लक्षण दिखता है तो डाक्टर के पास जाओ। हो सकता है आप के रक्त की जांच की जाए। सकारात्मक (पॉजीटिव) रिपोर्ट का अर्थ है कि आपको वायरस लग गया है और आप से दूसरों के पास जा सकता है। इसका उपचार किस प्रकार किया जा सकता है? एच आई वी के संक्रमण और एड्स का कोई उपचार नहीं है, इसका वायरस शरीस में जीवन भर रहता है। उनमें से एक है एजेड टी जो किएच आई वी बढ़ने को रोक देता है पर इलाज नहीं है। जो संक्रामक रोग या कैंसर हो जाता है उनके इलाज के लिए दवाएं हैं।
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HIV AIDS and Precaution. यौन सम्भोग से संक्रमित इन्फैक्शन / यौन रोग : एच आई वी और एड्स एच आई वी और एड्स क्या है? एड्स का अर्थ है अर्जित रोधन अभाव संलक्षण (Acquired Immune Deficiency Syndraoure) एड्स एच आई वी (मानव की रोधनक्षमता को कमजोर करने वाला वायरस) से होता है जो कि शरीर की रोधनक्षमता पर प्रहार करताहै जिसका काम शरीर को छूत या संक्रामक रोगों से बचाना होता है। इस सुरक्षा कवच के बिना एड्स वाले लोग भयानक छूत के रोगों और कैंसर आदि से पीड़ि हो जाते हैं। एड्स कैसे फैलता है? एक संक्रमित व्यक्ति से एच आई वी क छूत दूसरे व्यक्ति तक वीर्य, योनि स्राव अथवा रक्त के देने-लेने से पहुंचती है। यह (1) यौन परक सम्भोग (2) एक इंजैक्शन की सुई का दूसरे व्यक्ति के लिए प्ररयोग करने से (3) एक संक्रमित मां से उसके बच्चे को जन्म या उसके आसपास के समय में पहुंचाता है। क्या मौखिक सम्भोग से एच आई वी की छूत लग सकती है? हालांकि मौखिक सम्भोग से भी संक्रमण की सम्भावना रहती है परन्तु औरत या पुरूष के साथ असुरक्षित यौन सम्बन्ध रखने से जरो खतरा होता है वह कहीं अधिक रहता है। क्या गुदापरक असुक्षित सम्भोग से योनिपरक एवं मौखिक सम्भोग की अपेक्षा एच आई वी का खतरा अधिक रहता है? अन्य किसी प्रकार के यौन सम्भोगों की अपेक्षा असुरक्षित गुदापरक सम्भोग में निश्चय ही खतरा अधिक रहता है। मलाशय के अस्तर में योनि की अपेक्षा कम सैल होते हैं, इसलिए उसमेंचोट लग सकती है और सम्भोग के समय रक्त निकल सकता है। वहां से वह संक्रमित वीर्य या रक्त शरीर के मुख्य रक्त प्रवाह में प्रवेश पा सकता है। एच आई वी किस प्रकार से नहीं फैलता? प्रतिदिन के सामाजिक सम्पर्कों से एच आई वी दूसरे तक नहीं पहुंचता जैसे कि (1) एक ही टॉयलेट का प्रयोग (2) बर्तनों की साझ्दारी (3) सामाजिक अभिव्यक्ति हाथ मिलाना, गले मिलना आदि (4) मच्छर जैसे कीड़ों के काटने या पालतू पशुओं से (5) खांसी/छीकों से। टैटू लगवाते हुए, शरीर मे कोई छेद कराते हुए या नाई के पास जाने में क्या एच आई वी की छूत लग सकने का कोई खतरा होता है? यदि रक्त से सने औजारों को एक ...ग्राहक से दूसरे ग्राहक को लगाने से पहले रोगाणुविहीन न किया जाए तो एच आई वी क छूत लगने का खतरा रहता है। एक बार प्रयोग करके फेंक दिए जाने वाले ब्लेडों का इस्तेमाल करके इससे बचा जा सकता है। क्या चुम्बन द्वारा एच आई वी संक्रमण होता है? एच आई वी सेसंक्रमित लोगों के मुख की लार में हालांकि वाइरस हो सकता है पर लार से एच आई वी का संक्रमण नहीं होता। यदि सम्भोग के साथियों के मुंह में कुछ कटा हो या दाने हो या मसूड़ों से खून आ रहा हो तो हो सकता है कि संक्रमित खून दूसरे में चला जाये इसलिए गहन चुम्बन से परहेज करना चाहिए। यदि मुझे एच आई वी है तो कैसे पता चलेगा? एक बहुत ही साधारण सी रक्त की जांच होती है उसे कराने से पता चलता है। इसे एच आई वी ऐन्टीबॉडी टैस्ट कहते हैं। ऐन्टीबॉडी पैदा करके आपका शरीर वाइरस की उपस्थिति के प्रति प्रतिक्रिया करता है। इन ऐन्टीबॉडी को ढूंढ निकालने वाले टैस्ट से पता चलता है कि आप संक्रमित हैं। एच आई वी टैस्टिंग में 'विंडो पीरियड' क्या होता है? रक्त में दिखाई देने में इन ऐन्टीबॉडी को 14 सप्ताह या उसे भी अधिक समय लगता है। इस दौरान अगर टैस्ट करवाया जाये तो उसमें वे नहीं दिखेंगे जब कि वास्तव में आप वाइरस से प्रभावत हो सकते हैं। एच आई वी और एड्स में क्या अन्तर है? एड्स एच आई वी संक्रमण की अत्यन्त विकसित स्थिति है। संक्रमण के एकदम बाद क्या लक्षण प्रकट होते हैं? एच आई वी एड्स से संक्रमित होने पर कई लोगों में कोई लक्षण दिखाई नहीं देते। वाइरस के सम्पर्क मे आने के कई दिन या हफ्तों के बाद कुछ लोगों में फ्लू जैसा बीमारी के लक्षण दीखते हैं। वे बुखार, सिरदर्द, थकावच और गले की बड़ी हुई ग्रन्थियों की शिकायत करते हैं। एड्स के ये लक्षण सामान्यतः कुछ सप्ताह बाद अपने आप गायब हो जाते हैं। रोग को पनपने में कितना समय लगता है? इसके पनपने का समय हर व्यक्ति में अलग-अलग लगता है। यह स्थिति कुछ महीनों से लेकर दस साल तक चल सकती है। इस अवधि में वाइरस सक्रिय होकर गुणीभूत होता जाता है और रोधनक्षमता के सैल्स को नष्ट कर देता है, शरीस में संक्रमणों से जूझने वाले सीडी 4+ या टी 4 सैल को नष्ट कर देता है। एच आई वी/एड्स के लक्षण क्या हैं? एक बार ...

...जब शरीर की रोधन क्षमता कमजोर हो जाती है, एच आई वी एड्स से संक्रमित व्यक्ति में निम्नलिखित लक्षण दिखाई देते हैं - (1) ऊर्जा की कमी (2) वजन घटना (3) बार-बार बुखार और पसीना (4) देर तक या बार बार होने वाली फंगल की छूत (5) देर तक रहने वाला डॉयरिया (6) कुछ समय के लिए विस्मृति (7) मुख, जननेन्द्रिय और गुदा में फोड़े (8) खांसी और श्वास फूलना। मुझे लगता है कि हो सकता मुझे एच आई वी या एड्स हो। मुझे क्या करना चाहिए? अगर तुम्हें ऐसा लगता है या कोई लक्षण दिखता है तो डाक्टर के पास जाओ। हो सकता है आप के रक्त की जांच की जाए। सकारात्मक (पॉजीटिव) रिपोर्ट का अर्थ है कि आपको वायरस लग गया है और आप से दूसरों के पास जा सकता है। इसका उपचार किस प्रकार किया जा सकता है? एच आई वी के संक्रमण और एड्स का कोई उपचार नहीं है, इसका वायरस शरीस में जीवन भर रहता है। उनमें से एक है एजेड टी जो किएच आई वी बढ़ने को रोक देता है पर इलाज नहीं है। जो संक्रामक रोग या कैंसर हो जाता है उनके इलाज के लिए दवाएं हैं।

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...खतरा होता है? यदि रक्त से सने औजारों को एक ग्राहक से दूसरे ग्राहक को लगाने से पहले रोगाणुविहीन न किया जाए तो एच आई वी क छूत लगने का खतरा रहता है। एक बार प्रयोग करके फेंक दिए जाने वाले ब्लेडों का इस्तेमाल करके इससे बचा जा सकता है। क्या चुम्बन द्वारा एच आई वी संक्रमण होता है? एच आई वी सेसंक्रमित लोगों के मुख की लार में हालांकि वाइरस हो सकता है पर लार से एच आई वी का संक्रमण नहीं होता। यदि सम्भोग के साथियों के मुंह में कुछ कटा हो या दाने हो या मसूड़ों से खून आ रहा हो तो हो सकता है कि संक्रमित खून दूसरे में चला जाये इसलिए गहन चुम्बन से परहेज करना चाहिए। यदि मुझे एच आई वी है तो कैसे पता चलेगा? एक बहुत ही साधारण सी रक्त की जांच होती है उसे कराने से पता चलता है। इसे एच आई वी ऐन्टीबॉडी टैस्ट कहते हैं। ऐन्टीबॉडी पैदा करके आपका शरीर वाइरस की उपस्थिति के प्रति प्रतिक्रिया करता है। इन ऐन्टीबॉडी को ढूंढ निकालने वाले टैस्ट से पता चलता है कि आप संक्रमित हैं। एच आई वी टैस्टिंग में 'विंडो पीरियड' क्या होता है? रक्त में दिखाई देने में इन ऐन्टीबॉडी को 14 सप्ताह या उसे भी अधिक समय लगता है। इस दौरान अगर टैस्ट करवाया जाये तो उसमें वे नहीं दिखेंगे जब कि वास्तव में आप वाइरस से प्रभावत हो सकते हैं। एच आई वी और एड्स में क्या अन्तर है? एड्स एच आई वी संक्रमण की अत्यन्त विकसित स्थिति है। संक्रमण के एकदम बाद क्या लक्षण प्रकट होते हैं? एच आई वी एड्स से संक्रमित होने पर कई लोगों में कोई लक्षण दिखाई नहीं देते। वाइरस के सम्पर्क मे आने के कई दिन या हफ्तों के बाद कुछ लोगों में फ्लू जैसा बीमारी के लक्षण दीखते हैं। वे बुखार, सिरदर्द, थकावच और गले की बड़ी हुई ग्रन्थियों की शिकायत करते हैं। एड्स के ये लक्षण सामान्यतः कुछ सप्ताह बाद अपने आप गायब हो जाते हैं। रोग को पनपने में कितना समय लगता है? इसके पनपने का समय हर व्यक्ति में अलग-अलग लगता है। यह स्थिति कुछ महीनों से लेकर दस साल तक चल सकती है। इस अवधि में वाइरस सक्रिय होकर गुणीभूत होता जाता है और रोधनक्षमता के सैल्स को नष्ट कर देता है, शरीस में संक्रमणों से जूझने वाले ...
...सीडी 4+ या टी 4 सैल को नष्ट कर देता है। एच आई वी/एड्स के लक्षण क्या हैं? एक बार जब शरीर की रोधन क्षमता कमजोर हो जाती है, एच आई वी एड्स से संक्रमित व्यक्ति में निम्नलिखित लक्षण दिखाई देते हैं - (1) ऊर्जा की कमी (2) वजन घटना (3) बार-बार बुखार और पसीना (4) देर तक या बार बार होने वाली फंगल की छूत (5) देर तक रहने वाला डॉयरिया (6) कुछ समय के लिए विस्मृति (7) मुख, जननेन्द्रिय और गुदा में फोड़े (8) खांसी और श्वास फूलना। मुझे लगता है कि हो सकता मुझे एच आई वी या एड्स हो। मुझे क्या करना चाहिए? अगर तुम्हें ऐसा लगता है या कोई लक्षण दिखता है तो डाक्टर के पास जाओ। हो सकता है आप के रक्त की जांच की जाए। सकारात्मक (पॉजीटिव) रिपोर्ट का अर्थ है कि आपको वायरस लग गया है और आप से दूसरों के पास जा सकता है। इसका उपचार किस प्रकार किया जा सकता है? एच आई वी के संक्रमण और एड्स का कोई उपचार नहीं है, इसका वायरस शरीस में जीवन भर रहता है। उनमें से एक है एजेड टी जो किएच आई वी बढ़ने को रोक देता है पर इलाज नहीं है। जो संक्रामक रोग या कैंसर हो जाता है उनके इलाज के लिए दवाएं हैं।


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यौन सम्भोग से संक्रमित इन्फैक्शन / यौन रोग : एस टी डी यौनसम्बन्धों द्वारा संचारित संक्रामक रोग क्या होता है? यौन सम्बन्धों से फैलने वाले किसी भी रोग - समूह के लिए एस टी डी अर्थात यौन सम्बन्धों द्वारा संचरित रोग शब्दों का उपयोग किया जाता है। यौन सम्बन्धों द्वारा संचरित कैसे फैलते हैं? योनि सम्भोग, मौखिक सम्भोग और गुदापरक सम्भोग जैसे अन्तरंग यौन सम्पर्क से एस टी डी एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति तक पहुंचते हैं। एस टी डी के लक्षण क्या होते हैं? एस टी डी के लक्षणों में निम्नलिखित शामिल हैं - (1) औरतों में योनि के आसपास खजली और /अथवा योनि से स्राव (2) पुरूषों मे लिंग से स्राव (3) सम्भोग के समय अथवा मूत्र त्याग के समय पीड़ा (4) जननेन्द्रिय के आसपास पीड़ाविहीन लाल जख्म (5) मुलायम त्वचा के रंग वाले मस्से जननेन्द्रिय के आसपास हो जाते हैं। (6) गुदा परक सम्भोग वालों को गुदा के अन्दर और आसपास पीड़ा (7) असामान्य छूत के रोग, न समझ आने वाली थकावट, रात को पसीना और वजन का घटना। क्या यह सम्भव है कि किसी व्यक्ति को एस टी डी हो और उसे पता न हो? पुरूषों मे तो एस टी डी के लक्षण सामान्यतः दिख जाते हैं तो वे जागरूक हो जाते हैं कि उनके यौन परक अंग संक्रमित हो गए हैं। जबकि औरतों के संक्रमण के लक्षण दिखाई नहीं देते जबकि रोग लग चुका होता है। क्या एस टी डी से अन्य स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्य़ाएं हो सकती हैं? हां, प्रत्येक एस टी डी से अलग प्रकार की स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याएं होती हैं - कुल मिलाकर उनसे ग्रीवा परक कैंसर और अन्य कैंसर हो सकते हैं जिगर के रोग, अन- उर्वरकता, गर्भ सम्बन्धी स्म्याएं और अन्य कष्ट हो सकते हैं। कुछ प्रकार के एस टी डी एच आई वी/एड्स की सम्भावनाओं को बढ़ा देते हैं। एस टी डी की आशंका होने पर क्या करना चाहिए? यदि आपको आशंका हो कि आप को एस टी डी है तो मदद लेने से घबराओ या शरमाओं मत। डाक्टर के पास जाओ और एस टी डी की जांच के लिए हो या अगर आप पुरूष हैं तो त्वचा विशेषज्ञ के पास जाओ स्त्री हैं तो ...


...स्त्री रोग विशेषज्ञ के पास जाओ। लक्षणों की उपेक्षा मत करो और न ही यह इन्तजार करो कि आप चले जाएंगे।एस टी डी रोग बहुत आम है और बहुत छूत फैलाने वाले होते हैं, अगर जल्दी पककड़ में आ जाए तो आसानी से ठीक भी हो सकते हैं। एसटीडी की रोकथाम के क्या तरीके हैं? एस टी डी से अपने आप को बचाया जा सकता है- (1) स्वयं एक विवाह सम्बन्ध निभाना और यह सुनिश्चित करना कि साथी भी उसे निभाये (2) पुरूषों द्वारा लेटैक्स कंडोम के प्रयोग से छूत का भय कम हो जाता है अगर सही प्रयोग किया जाए। ध्यान रखें, हमेशा सम्भोग के समय उसका उपयोग करें। महिलाओं के कंडोम उतने प्रभावशाली नहीं हैं जितने पुरूषों के यदि पुरूष न उपयोग करे तो स्त्री को अवश्य करना चाहिए।



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यौन सम्भोग से संक्रमित इन्फैक्शन / यौन रोग : एस टी डी यौनसम्बन्धों द्वारा संचारित संक्रामक रोग क्या होता है? यौन सम्बन्धों से फैलने वाले किसी भी रोग - समूह के लिए एस टी डी अर्थात यौन सम्बन्धों द्वारा संचरित रोग शब्दों का उपयोग किया जाता है। यौन सम्बन्धों द्वारा संचरित कैसे फैलते हैं? योनि सम्भोग, मौखिक सम्भोग और गुदापरक सम्भोग जैसे अन्तरंग यौन सम्पर्क से एस टी डी एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति तक पहुंचते हैं। एस टी डी के लक्षण क्या होते हैं? एस टी डी के लक्षणों में निम्नलिखित शामिल हैं - (1) औरतों में योनि के आसपास खजली और /अथवा योनि से स्राव (2) पुरूषों मे लिंग से स्राव (3) सम्भोग के समय अथवा मूत्र त्याग के समय पीड़ा (4) जननेन्द्रिय के आसपास पीड़ाविहीन लाल जख्म (5) मुलायम त्वचा के रंग वाले मस्से जननेन्द्रिय के आसपास हो जाते हैं। (6) गुदा परक सम्भोग वालों को गुदा के अन्दर और आसपास पीड़ा (7) असामान्य छूत के रोग, न समझ आने वाली थकावट, रात को पसीना और वजन का घटना। क्या यह सम्भव है कि किसी व्यक्ति को एस टी डी हो और उसे पता न हो? पुरूषों मे तो एस टी डी के लक्षण सामान्यतः दिख जाते हैं तो वे जागरूक हो जाते हैं कि उनके यौन परक अंग संक्रमित हो गए हैं। जबकि औरतों के संक्रमण के लक्षण दिखाई नहीं देते जबकि रोग लग चुका होता है। क्या एस टी डी से अन्य स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्य़ाएं हो सकती हैं? हां, प्रत्येक एस टी डी से अलग प्रकार की स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याएं होती हैं - कुल मिलाकर उनसे ग्रीवा परक कैंसर और अन्य कैंसर हो सकते हैं जिगर के रोग, अन- उर्वरकता, गर्भ सम्बन्धी स्म्याएं और अन्य कष्ट हो सकते हैं। कुछ प्रकार के एस टी डी एच आई वी/एड्स की सम्भावनाओं को बढ़ा देते हैं। एस टी डी की आशंका होने पर क्या करना चाहिए? यदि आपको आशंका हो कि आप को एस टी डी है तो मदद लेने से घबराओ या शरमाओं मत। डाक्टर के पास जाओ और एस टी डी की जांच के लिए हो या अगर आप पुरूष हैं तो त्वचा ...

..विशेषज्ञ के पास जाओ स्त्री हैं तो स्त्री रोग विशेषज्ञ के पास जाओ। लक्षणों की उपेक्षा मत करो और न ही यह इन्तजार करो कि आप चले जाएंगे।एस टी डी रोग बहुत आम है और बहुत छूत फैलाने वाले होते हैं, अगर जल्दी पककड़ में आ जाए तो आसानी से ठीक भी हो सकते हैं। एसटीडी की रोकथाम के क्या तरीके हैं? एस टी डी से अपने आप को बचाया जा सकता है- (1) स्वयं एक विवाह सम्बन्ध निभाना और यह सुनिश्चित करना कि साथी भी उसे निभाये (2) पुरूषों द्वारा लेटैक्स कंडोम के प्रयोग से छूत का भय कम हो जाता है अगर सही प्रयोग किया जाए। ध्यान रखें, हमेशा सम्भोग के समय उसका उपयोग करें। महिलाओं के कंडोम उतने प्रभावशाली नहीं हैं जितने पुरूषों के यदि पुरूष न उपयोग करे तो स्त्री को अवश्य करना चाहिए।
यौन सम्भोग से संक्रमित इन्फैक्शन / यौन रोग : एस टी डी यौनसम्बन्धों द्वारा संचारित संक्रामक रोग क्या होता है? यौन सम्बन्धों से फैलने वाले किसी भी रोग - समूह के लिए एस टी डी अर्थात यौन सम्बन्धों द्वारा संचरित रोग शब्दों का उपयोग किया जाता है। यौन सम्बन्धों द्वारा संचरित कैसे फैलते हैं? योनि सम्भोग, मौखिक सम्भोग और गुदापरक सम्भोग जैसे अन्तरंग यौन सम्पर्क से एस टी डी एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति तक पहुंचते हैं। एस टी डी के लक्षण क्या होते हैं? एस टी डी के लक्षणों में निम्नलिखित शामिल हैं - (1) औरतों में योनि के आसपास खजली और /अथवा योनि से स्राव (2) पुरूषों मे लिंग से स्राव (3) सम्भोग के समय अथवा मूत्र त्याग के समय पीड़ा (4) जननेन्द्रिय के आसपास पीड़ाविहीन लाल जख्म (5) मुलायम त्वचा के रंग वाले मस्से जननेन्द्रिय के आसपास हो जाते हैं। (6) गुदा परक सम्भोग वालों को गुदा के अन्दर और आसपास पीड़ा (7) असामान्य छूत के रोग, न समझ आने वाली थकावट, रात को पसीना और वजन का घटना। क्या यह सम्भव है कि किसी व्यक्ति को एस टी डी हो और उसे पता न हो? पुरूषों मे तो एस टी डी के लक्षण सामान्यतः दिख जाते हैं तो वे जागरूक हो जाते हैं कि उनके यौन परक अंग संक्रमित हो गए हैं। जबकि औरतों के संक्रमण के लक्षण दिखाई नहीं देते जबकि रोग लग चुका होता है। क्या एस टी डी से अन्य स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्य़ाएं हो सकती हैं? हां, प्रत्येक एस टी डी से अलग प्रकार की स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याएं होती हैं - कुल मिलाकर उनसे ग्रीवा परक कैंसर और अन्य कैंसर हो सकते हैं जिगर के रोग, अन- उर्वरकता, गर्भ सम्बन्धी स्म्याएं और अन्य कष्ट हो सकते हैं। कुछ प्रकार के एस टी डी एच आई वी/एड्स की सम्भावनाओं को बढ़ा देते हैं। एस टी डी की आशंका होने पर क्या करना चाहिए? यदि आपको आशंका हो कि आप को एस टी डी है तो मदद लेने से घबराओ या शरमाओं मत। डाक्टर के पास जाओ और एस टी डी...त्वचा विशेषज्ञ के पास जाओ स्त्री हैं तो स्त्री रोग विशेषज्ञ के पास जाओ। लक्षणों की उपेक्षा मत करो और न ही यह इन्तजार करो कि आप चले जाएंगे।एस टी डी रोग बहुत आम है और बहुत छूत फैलाने वाले होते हैं, अगर जल्दी पककड़ में आ जाए तो आसानी से ठीक भी हो सकते हैं। एसटीडी की रोकथाम के क्या तरीके हैं? एस टी डी से अपने आप को बचाया जा सकता है- (1) स्वयं एक विवाह सम्बन्ध निभाना और यह सुनिश्चित करना कि साथी भी उसे निभाये (2) पुरूषों द्वारा लेटैक्स कंडोम के प्रयोग से छूत का भय कम हो जाता है अगर सही प्रयोग किया जाए। ध्यान रखें, हमेशा सम्भोग के समय उसका उपयोग करें। महिलाओं के कंडोम उतने प्रभावशाली नहीं हैं जितने पुरूषों के यदि पुरूष न उपयोग करे तो स्त्री को अवश्य करना चाहिए।
 की जांच के लिए हो या अगर आप पुरूष हैं तो ...

HIV AIDS and Precaution. यौन सम्भोग से संक्रमित इन्फैक्शन / यौन रोग : एच आई वी और एड्स एच आई वी और एड्स क्या है? एड्स का अर्थ है अर्जित रोधन अभाव संलक्षण (Acquired Immune Deficiency Syndraoure) एड्स एच आई वी (मानव की रोधनक्षमता को कमजोर करने वाला वायरस) से होता है जो कि शरीर की रोधनक्षमता पर प्रहार करताहै जिसका काम शरीर को छूत या संक्रामक रोगों से बचाना होता है। इस सुरक्षा कवच के बिना एड्स वाले लोग भयानक छूत के रोगों और कैंसर आदि से पीड़ि हो जाते हैं। एड्स कैसे फैलता है? एक संक्रमित व्यक्ति से एच आई वी क छूत दूसरे व्यक्ति तक वीर्य, योनि स्राव अथवा रक्त के देने-लेने से पहुंचती है। यह (1) यौन परक सम्भोग (2) एक इंजैक्शन की सुई का दूसरे व्यक्ति के लिए प्ररयोग करने से (3) एक संक्रमित मां से उसके बच्चे को जन्म या उसके आसपास के समय में पहुंचाता है। क्या मौखिक सम्भोग से एच आई वी की छूत लग सकती है? हालांकि मौखिक सम्भोग से भी संक्रमण की सम्भावना रहती है परन्तु औरत या पुरूष के साथ असुरक्षित यौन सम्बन्ध रखने से जरो खतरा होता है वह कहीं अधिक रहता है। क्या गुदापरक असुक्षित सम्भोग से योनिपरक एवं मौखिक सम्भोग की अपेक्षा एच आई वी का खतरा अधिक रहता है? अन्य किसी प्रकार के यौन सम्भोगों की अपेक्षा असुरक्षित गुदापरक सम्भोग में निश्चय ही खतरा अधिक रहता है। मलाशय के अस्तर में योनि की अपेक्षा कम सैल होते हैं, इसलिए उसमेंचोट लग सकती है और सम्भोग के समय रक्त निकल सकता है। वहां से वह संक्रमित वीर्य या रक्त शरीर के मुख्य रक्त प्रवाह में प्रवेश पा सकता है। एच आई वी किस प्रकार से नहीं फैलता? प्रतिदिन के सामाजिक सम्पर्कों से एच आई वी दूसरे तक नहीं पहुंचता जैसे कि (1) एक ही टॉयलेट का प्रयोग (2) बर्तनों की साझ्दारी (3) सामाजिक अभिव्यक्ति हाथ मिलाना, गले मिलना आदि (4) मच्छर जैसे कीड़ों के काटने या पालतू पशुओं से (5) खांसी/छीकों से। टैटू लगवाते हुए, शरीर मे कोई छेद कराते हुए या नाई के पास जाने में क्या एच आई वी की छूत लग सकने का कोई खतरा होता है? यदि रक्त से सने औजारों ...

.को एक ग्राहक से दूसरे ग्राहक को लगाने से पहले रोगाणुविहीन न किया जाए तो एच आई वी क छूत लगने का खतरा रहता है। एक बार प्रयोग करके फेंक दिए जाने वाले ब्लेडों का इस्तेमाल करके इससे बचा जा सकता है। क्या चुम्बन द्वारा एच आई वी संक्रमण होता है? एच आई वी सेसंक्रमित लोगों के मुख की लार में हालांकि वाइरस हो सकता है पर लार से एच आई वी का संक्रमण नहीं होता। यदि सम्भोग के साथियों के मुंह में कुछ कटा हो या दाने हो या मसूड़ों से खून आ रहा हो तो हो सकता है कि संक्रमित खून दूसरे में चला जाये इसलिए गहन चुम्बन से परहेज करना चाहिए। यदि मुझे एच आई वी है तो कैसे पता चलेगा? एक बहुत ही साधारण सी रक्त की जांच होती है उसे कराने से पता चलता है। इसे एच आई वी ऐन्टीबॉडी टैस्ट कहते हैं। ऐन्टीबॉडी पैदा करके आपका शरीर वाइरस की उपस्थिति के प्रति प्रतिक्रिया करता है। इन ऐन्टीबॉडी को ढूंढ निकालने वाले टैस्ट से पता चलता है कि आप संक्रमित हैं। एच आई वी टैस्टिंग में 'विंडो पीरियड' क्या होता है? रक्त में दिखाई देने में इन ऐन्टीबॉडी को 14 सप्ताह या उसे भी अधिक समय लगता है। इस दौरान अगर टैस्ट करवाया जाये तो उसमें वे नहीं दिखेंगे जब कि वास्तव में आप वाइरस से प्रभावत हो सकते हैं। एच आई वी और एड्स में क्या अन्तर है? एड्स एच आई वी संक्रमण की अत्यन्त विकसित स्थिति है। संक्रमण के एकदम बाद क्या लक्षण प्रकट होते हैं? एच आई वी एड्स से संक्रमित होने पर कई लोगों में कोई लक्षण दिखाई नहीं देते। वाइरस के सम्पर्क मे आने के कई दिन या हफ्तों के बाद कुछ लोगों में फ्लू जैसा बीमारी के लक्षण दीखते हैं। वे बुखार, सिरदर्द, थकावच और गले की बड़ी हुई ग्रन्थियों की शिकायत करते हैं। एड्स के ये लक्षण सामान्यतः कुछ सप्ताह बाद अपने आप गायब हो जाते हैं। रोग को पनपने में कितना समय लगता है? इसके पनपने का समय हर व्यक्ति में अलग-अलग लगता है। यह स्थिति कुछ महीनों से लेकर दस साल तक चल सकती है। इस अवधि में वाइरस सक्रिय होकर गुणीभूत होता जाता है और रोधनक्षमता के सैल्स को नष्ट कर देता है, शरीस में संक्रमणों से जूझने वाले सीडी 4+ या टी 4 सैल को नष्ट कर देता है। एच आई वी/एड्स के लक्षण क्या हैं? एक बार जब ...


..शरीर की रोधन क्षमता कमजोर हो जाती है, एच आई वी एड्स से संक्रमित व्यक्ति में निम्नलिखित लक्षण दिखाई देते हैं - (1) ऊर्जा की कमी (2) वजन घटना (3) बार-बार बुखार और पसीना (4) देर तक या बार बार होने वाली फंगल की छूत (5) देर तक रहने वाला डॉयरिया (6) कुछ समय के लिए विस्मृति (7) मुख, जननेन्द्रिय और गुदा में फोड़े (8) खांसी और श्वास फूलना। मुझे लगता है कि हो सकता मुझे एच आई वी या एड्स हो। मुझे क्या करना चाहिए? अगर तुम्हें ऐसा लगता है या कोई लक्षण दिखता है तो डाक्टर के पास जाओ। हो सकता है आप के रक्त की जांच की जाए। सकारात्मक (पॉजीटिव) रिपोर्ट का अर्थ है कि आपको वायरस लग गया है और आप से दूसरों के पास जा सकता है। इसका उपचार किस प्रकार किया जा सकता है? एच आई वी के संक्रमण और एड्स का कोई उपचार नहीं है, इसका वायरस शरीस में जीवन भर रहता है। उनमें से एक है एजेड टी जो किएच आई वी बढ़ने को रोक देता है पर इलाज नहीं है। जो संक्रामक रोग या कैंसर हो जाता है उनके इलाज के लिए दवाएं हैं।

Friday 25 November 2016

त्वचा के रोग : सरल उपचार ; Skin Disease: Simple Remedies

  • त्वचा के रोग : सरल उपचार ; Skin Disease: Simple Remedies





  • मुहासे के लिए -

  • **खाने का सोडा (सोडा बाई कार्ब ) लें  और पानी  की थोंड़ी  सी  मात्रा मिलाकर गाढ़ा पेस्ट बनाएँ|  दवा तैयार है | मुहासे पर लगाएँ| समय 20 मिनिट |  गुनगुने पानी से धोलें|




  •  **ककड़ी का रस  और टमाटर  का गुदा  अच्छी तरह मिक्स करें  | इसे मुहासे पर लगाएँ| समय 15 मिनिट | बाद मे पानी से साफ कर लें|  इससे न केवल  मुहासे ठीक होंगे ,चेहरे की चमक भी बढ़ेगी| 

  • **नीम के पत्ते डाल कर उबाले गए पानी से स्नान करने से चर्म रोग मिटते है.

  •  **नीम की पत्तियों को पीसकर हाथ पेरों पर लेप करने से जलन शांत होती है|

  •  **गर्मी की घमौरियों पर बर्फ का टुकड़ा मलने से घमौरियां मुरझा जाती है और राहत मिलती है|.

  • चर्म रोगों में फिटकरी बड़ी गुणकारी होती है. जिस स्थान पर चर्म रोग हुआ हो उस स्थान को बार -बार फिटकरी के पानी से धोने से लाभ होता है

  •  **दाद, खाज, फुंसी, फोड़े इत्यादि चर्म रोगों में ताजे संतरे के छिलके पीस कर लगाने से लाभ होता है.

  •  **रोज सुबह 20 ग्राम शहद ठंडे पानी में मिलाकर चार पांच महीने तक पीने से त्वचा सम्बन्धी रोग दूर होते है.

  • **हाथ पाँव में जलन की शिकायत होने पर सौंफ के साथ बराबर मात्रा में धनिया व मिश्री मिलाकर पीस कर छान ले. खाना खाने के बाद 5-6 ग्राम की मात्रा में यह चूर्ण लेने से राहत मिलती है.|

  •  **बादाम का तेल चहरे पर विशेषकर आँखों के आस पास मलने से झुर्रियां नहीं पड़ती.|

  •  **गर्मी के दिनों में नींबू का शरबत पीये. इससे खून साफ़ होता है और ठंडक भी मिलती है.|

  •  **सौंफ रक्त को शुद्ध करने वाला एवं चर्म रोग नाशक है. प्रतिदिन 10 ग्राम सौंफ बिना मीठा मिलाये वैसे ही चबा -चबा कर नियमित कुछ दिनों तक खाने से रक्त शुद्ध होता है और त्वचा का रंग साफ़ होता है.|

  • **त्वचा रोगों मे बादाम बहुत  काम की चीज है| 5 बादाम  रात को पानी  मे भिगोकर  रखें सुबह छिलका उतारें  थौड़े  से गुलाब जल मे पीसकर  पेस्ट  बनाएं|  रुग्ण त्वचा पर लगाएँ | फायदा होगा|


  • **शकर ,बादाम का तेल और नींबू का रस मिलाएँ | इसे चेहरे पर मालिश करें | समय 10 मिनिट | गुब गुबे जल से धोलें| मुहासे दूर होंगे |


  • **लहसुन मुहासे दूर करने मे उपयोगी है| चेहरा धोकर भली प्रकार साफ कर पोंछ कर सूखा लें | अब लहसुन या इसके रस को मुहासे पर लगाकर उंगली से रगड़ें| चेहरे पर 15 मिनिट लगा रहने दें फिर गुन गुने पानी से साफ कर लें| दिन मे तीन मर्तबा प्रयोग करना है| एक माह मे परिणाम आएंगे |


  • **नींबू का रस रुई के फाये से मुहासे पर लगाएँ कुछ देर लगा रहबे के बाद ठंडे जल से साफ कर लें,| दिन मे तीन बार प्रयोग करें| अच्छे परिणाम की आशा की जा सकती है|


  • * चमेली के फूलों को पीसकर चहेरे पर लेप करने से 2 - 3 माह में झांइयां व मुंहासे दूर हो जाते हैं !

  • * हल्दी व एक चुटकी नमक दूध में मिला सोते समय चेहरे पर लगाएं और सुबह गुनगुने पानी से मुंह धो लें !

  • कुछ दिनों तक लगातार ऐसा करने से चेहरे पर निखार आता है !

  • * बेसन में दही मिलाकर चेहरे पर लगा सूखने पर पानी से धो लें - चेहरे के दाग व झुर्रियां दूर होती हैं !

  • * दाग मिटाने के लिए नीम की ताजी पत्तियों को पीसकर रात के समय चेहरे पर लगाएं व सुबह सामान्य पानी से धो लें !

  • * गाजर - टमाटर - संतरे और चुकंदर का 25 - 25 ग्राम रस दो - तीन माह तक रोजाना पीने से चेहरे के दाग - धब्बे ~ मुंहासे व कालापन दूर होता है !

  • * शतावरी की जड़ को पीस पानी में मिलाएं व इस पानी से सिर धोने से बाल लंबे होते हैं !

  • * 50 ग्राम मुल्तानी मिट्टी व 50 ग्राम आंवला चूर्ण को 10 ग्राम दही में मिला बालों पर लगाएं और एक घंटे बाद धो लें - इससे बाल काले व चमकदार होते हैं !

  • * आंखों के नीचे का कालापन दूर करने के लिए आलू के रस से सुबह - शाम मसाज करें !

  • * आलू - टमाटर और नींबू का रस मिला आंखों के नीचे हल्की मालिश करें - इससे भी कालापन दूर होगा !

सुबह पेट ठीक से साफ़ न हो तो अपनाएं ये तरीके

सुबह पेट ठीक से साफ़ न हो तो अपनाएं ये तरीके


पेट खुश तो आप भी खुश
एक साधे, सब सधे। यह बात हमारे पाचन तंत्र पर भी पूरी तरह लागू होती है। कमजोर पाचन तंत्र के कारण न सिर्फ भोजन पचने में परेशानी आती है, बल्कि शरीर का प्रतिरोध सिस्टम भी गड़बड़ा जाता है। शरीर में विषैले तत्वों की मात्रा बढ़ने से शरीर कई अनियमितताओं का शिकार होने लगता है। पाचन तंत्र की विभिन्न गड़बड़ियों और उनसे दूर रहने के उपाय लिखते हैं-
एलोवेरा :
आप जैसे ही सुबह उठें, वैसे ही एक गिलास पानी में थोड़ा सा एलोवेरा का जैल मिक्स कर लें। इसे पीने से आपका पेट बिल्‍कुल ठीक रहेगा।
मुनक्का : मुनक्के में काफी सारा फाइबर और एंटीऑक्‍सीडेंट होता है। इसे जरुर खाएं जिससे पेट साफ रहे।
अलसी-
इनमें भी फाइबर की मात्रा अधिक होती है। इसलिए यह कब्ज जैसी बीमारी से राहत देता है। अच्छे रिज़ल्ट के लिए अलसी के बीज को आप सुबह कॉर्नफ्लेक्स के साथ मिलाकर खा सकते हैं या फिर मुट्ठी भर अलसी के बीज को गर्म पानी के साथ सुबह खा सकते हैं। फाइबर आपकी डाइट में ज़रूर होना चाहिए। इससे आप कब्ज जैसी परेशानी से दूर रहेंगे। अलसी के बीज कब्ज के साथ-साथ डायबिटीज़, हृदय रोग, मोटापे और कैंसर के खतरे को कम करता है।
दही :
दही आपके पेट को अच्‍छा बनाए रखने में मदद कर सकता है। दही को रात में खाएं जिससे सुबह पेट अच्‍छे से साफ हो जाए।
त्रिफला पाउडर
त्रिफला पाउडर आवंला, हरीताकी और विभीताकी औषधियों के चूर्ण से बनता है। इससे पाचन क्रिया संतुलित रहती है और कब्ज जैसी दिक्कतों से राहत मिलती है। आप एक छोटे चम्मच त्रिफला पाउडर को गुनगुने पानी के साथ खा सकते हैं या शहद के साथ पाउडर मिक्स करके खा सकते हैं। इस मिक्सचर को रात में सोने से पहले या सुबह खाली पेट खाने से कब्ज में तुरंत राहत मिलती है। यह पूरी तरह से औषधियों से बना है, इसलिए यह एंटी-बायोटिक दवाइयों से कहीं बेहतर है।


कॉफी कम पियें :
कैफीन के अधिक सेवन से पेट की समस्‍या पैदा होती है, जिससे पेट सुबह अच्‍छे से साफ नहीं होता।
किशमिश

किशमिश फाइबर से भरपूर होती है और नेचुरल जुलाब की तरह काम करती है। मुट्ठी भर किशमिश को रात भर पानी में भिगोकर रख दें और सुबह इसे खाली पेट खाएं। गर्भवती महिलाओं को होने वाली कब्ज के लिए यह बिना किसी साइड इफेक्ट की दवा है। किशमिश एनर्जी बूस्टर की तरह होती है, इसलिए यह किसी भी प्रकार के एनर्जी ड्रिंक्स से बेहतर होती है।
तनाव से रहें दूर -:
बहुत ज्‍यादा तनाव लेने से भी पेट -की समस्या पैदा होती है। अगर पेट साफ ना हो तो तनाव से दूरी बना लें।
अमरूद
अमरूद के गूदे और बीज में फाइबर की उचित मात्रा होती है। इसके सेवन से खाना जल्दी पच जाता है और एसिडिटी से राहत मिलती है। साथ ही, पेट भी साफ हो जाता है। अमरूद पेट के साथ-साथ शरीर के इम्यून सिस्टम को भी मजबूत करता है, जिससे रोगों से लड़ने की क्षमता बढ़ती है।
सेब :
आपको सेब नियमित रूप से खाना चाहिये क्युकी इसमें एक प्रकार का तत्त्व पाया जाता है जो कि आपके पेट को सुबह अच्छे से साफ कर देगा।
अंजीर
अंजीर पका हो या सूखा, जुलाब की तरह काम करता है, क्योंकि इसमें फाइबर की मात्रा काफी ज्यादा होती है। कब्ज से राहत पाने के लिए एक गिलास दूध में अंजीर के कुछ टुकड़ों को उबालें और इसे रात को सोने से पहले पिएं। ध्यान रहे, गर्म दूध ही पिएं। साबुत अंजीर का सेवन मेडिकल शॉप में मिलने वाले कब्ज खत्म करने वाले सीरप से ज्यादा असरदार होता है।
नींद :
क्या आप को इस बात का कभी एहसास हुआ है कि जिन दिनों आपकी नींद अच्छे से पूरी नहीं होती, उस दौरान आपका पेट भी अच्छे से साफ नहीं होता? इसका जवाब है कि आपको नियमित रूप से नींद पूरी करनी चाहिये।
नींबू का रस

अक्सर वैद्य कब्ज से तुरंत राहत दिलाने के लिए नींबू के रस लेने को कहते हैं। एक गिलास गुनगुने पानी में नींबू और नमक मिलाकर सुबह खाली पेट पिएं। इससे आंतों में से शरीर का बेकार तत्व साफ होता है। इसके लिए एक गिलास गर्म पानी में एक छोटा चम्मच नींबू का रस मिलाएं और फिर चुटकी भर नमक मिलाकर इस जूस को सुबह फ्रेश होने से पहले पिएं। इससे शरीर का टॉक्सिन भी बाहर हो जाते है।

मिर्च :
बहुत ज्यादा मसालेदार भोजन खाने से बचना चाहिये। इसकी जगह पर आपको साबुत मिर्च का सेवन करना चाहिये।
अरंडी का तेल
अरंडी के तेल को सदियों से कब्ज से राहत पाने के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है। कब्ज खत्म करने के साथ यह पेट के कीड़े भी नष्ट करता है। खाली अरंडी के तेल को पीने से बेहतर रहेगा कि आप इसे रात को सोने से पहले दूध में मिलाकर पिएं। एक चम्मच से ज़्यादा न डालें। इससे अगले दिन पेट साफ रहेगा।
पानी :
प्रतिदिन सुबह एक गिलास गुनगुना पानी अवश्य पिएं।
संतरा
संतरा सिर्फ विटामिन सी का ही मुख्य स्रोत नहीं है, बल्कि इसमें फाइबर की भरपूर मात्रा होती है। रोज सुबह-शाम एक-एक संतरा खाने से कब्ज जैसी बीमारी में राहत मिलती है।
रेगुलर वर्कआउट :
रेगुलर एक्‍सरसाइज़ करने से पाचन क्रिया हमेशा दुरुस्त बनी रहेगी। शारीरिक रूप से सक्रिय रहें।

कैसे करे चेहरे को गोरा उसके लिए बेहतरीन आसान नुस्खे

कैसे करे चेहरे को गोरा उसके लिए बेहतरीन आसान नुस्खे



खूबसूरत चेहरा और हेल्दी स्किन के साथ ही यदि रंग गोरा हो तो ऐसा व्यक्ति अधिक आकर्षक लगता है। ऐसा हम भारतीयों का मानना है। शायद गोरा रंग हमें अधिक आकर्षित करता है, इसीलिए यदि किसी इंसान के नैन-नक्श अच्छे हैं, लेकिन उसका रंग ज्यादा गोरा नहीं है तो हम उसे बहुत सुंदर नहीं मानते, क्योंकि हमारे यहां गोरे रंग के प्रति लोगों का आकर्षण ज्यादा है।
इसीलिए लोग गोरे होने के लिए कॉस्मेटिक्स यूज करते हैं। यदि आपके साथ भी यही समस्या है और आप अपना रंग गोरा करने के लिए तरह-तरह के कॉस्मेटिक्स उपयोग करके थक चुके हैं तो घरेलू नुस्खे अपनाइए।
घरेलू नुस्खों को अपनाने से स्किन, हेल्दी, ग्लोइंग, फेयर हो जाती है और कोई रिएक्शन भी नहीं होता है। आज मैं बताऊंगा  कुछ ऐसे नुस्खे जिन्हें अपना लेने पर रंग साफ होने लगता है।
शहद- शहद त्वचा के लिए टॉनिक का काम करता है। शहद खाने से और लगाने से स्किन ग्लो करने लगती है। स्किन को गोरा बनाने के लिए एक छोटा चम्मच शहद लें। इसे चेहरे पर लगाएं।
से कम एक दिन में दो बार करें। दो हफ्ते में ही आपको अपने चेहरे का रंग साफ लगने लगेगा।
संतरा- संतरा विटामिन सी से भरपूर होता है। इसे स्किन के लिए बहुत अच्छा माना जाता है। संतरा खाने और लगाने से भी त्वचा सेहतमंद हो जाती है। त्वचा का रंग निखारने के लिए रोज संतरे का जूस चेहरे पर लगाएं। सूखने पर इसे धो लें। यदि चेहरे पर दाग-धब्बे हैं तो संतरे के छिलकों का उपयोग करें। संतरे के छिलकों को छांव में सुखाकर पाउडर बना लें। यह पाउडर एक चम्मच कच्चे दूध में मिलाकर चेहरे पर लगाएं। रंग निखरने लगेगा।
कच्चा दूध- दूध त्वचा के लिए टोनर का काम करता है। कच्चे दूध का चेहरे पर हल्के हाथों से मसाज करें। सूखने पर चेहरा धो लें। रंग गोरा हो जाएगा।
पपीता- वैसे तो पपीते की तासीर को गर्म माना जाता है, लेकिन स्किन के लिए यह बहुत फायदेमंद होता है। इसमें भरपूर मात्रा में एंटीऑक्सीडेंट और विटामिन ए होता है। इसीलिए पपीता खाने के साथ ही इसे लगाने के भी अनेक लाभ हैं।


स्किन को गोरा बनाने के लिए एक पपीता का टुकड़ा पीस लें। यह गाढ़ा पेस्ट अपने चेहरे पर लगाएं। एक घंटे तक यह पेस्ट चेहरे पर लगा रहने दें। फिर चेहरा धो लें। यह नुस्खा नियमित रूप से दोहराने पर रंग गोरा होने लगता है।
तुलसी- तुलसी ईश्वर का उपहार है। यह सिर्फ बीमारियों को ठीक नहीं करती है, बल्कि स्किन के लिए भी टॉनिक का काम करती है। तुलसी के कुछ पत्ते लेकर उनका जूस बना लें। इसका हल्के हाथों से चेहरे पर मसाज करें। कुछ देर रहने दें और फिर गुनगुने से पानी चेहरा धो लें। ऐसा रोज करने से धीरे-धीरे रंग गोरा होने लगता है।
गुलाब जल- गुलाब जल रंगत निखारने का सबसे आसान और सस्ता तरीका है। घर पर ही गुलाब जल बनाने के लिए गुलाब की पंखुड़ियों को पानी में डालें। जल्दी फायदे के लिए इसका पेस्ट बनाकर पानी में मिलाएं। एक दिन के लिए पानी में छोड़ दें। इस पानी से चेहरा धोने से चेहरे की रंगत गुलाबी होने लगती है।
हल्दी- आयुर्वेद में हल्दी को रंगत निखारने वाली सबसे बेहतरीन औषधि माना जाता है। दूध में एक चुटकी हल्दी मिलाकर चेहरे पर लगाने से भी रंगत निखरती है। बेसन के उबटन में हल्दी मिलाकर लगाने से भी चेहरा ग्लो करने लगता है।
दही- दही कई तरह के पोषक तत्वों से भरपूर है। दही खाने और लगाने, दोनों का फायदा चेहरे पर दिखाई देता है। रोज सुबह एक चम्मच दही लेकर चेहरे पर मसाज करें। सूखने के बाद चेहरा धो लें। इस नुस्खे को नियमित रूप से करने पर रंग गोरा हो जाता है और पिंपल्स भी खत्म हो जाते हैं।
खीरा- खीरा एक ऐसी गुणकारी फल है, जिसे सप्ताह में एक बार जरूर खाना चाहिए। साथ ही, खीरा स्किन के लिए भी बहुत लाभदायक माना जाता है। इसे खाने से शरीर की गर्मी छंट जाती है। स्किन को ग्लोइंग बनाने के लिए चेहरे पर खीरे का जूस बनाकर या खीरे का पेस्ट बनाकर लगाएं।
नींबू- नींबू स्किन के लिए एक चमत्कारी दवा की तरह काम करता हैं। रंग निखारने के लिए नींबू का रस चेहरे पर लगाएं। कुछ देर बाद चेहरा धो लें। नींबू के रस में टमाटर का रस मिलाकर लगाने से भी त्वचा की सफाई हो जाती है और रंग गोरा होने लगता है।
टमाटर- टमाटर एंटीऑक्सीडेंट व पोषक तत्वों से भरपूर होता है। इसीलिए यह स्किन के लिए बहुत फायदेमंद होता है। आप सांवले रंग से परेशान हैं तो टमाटर को पीसकर इसका पेस्ट चेहरे पर लगाएं। चेहरे के दाग-धब्बे दूर हो जाएंगे और रंग निखरने लगेगा।
दूध और केसर- यदि आप अपनी स्किन की केयर करने के लिए एक्सट्रा टाइम नहीं निकाल पाते हैं तो दूध और केसर का उपयोग करें। थोड़े से दूध में केसर की पत्तियों को पीस लें। इस दूध से चेहरे की मसाज करें। कुछ देर रहने दें। फिर चेहरा धो लें। रंग निखर जाता है और फेस ग्लो करने लगता है।


आलू- यदि आपके चेहरे पर काले धब्बे हैं तो आलू की स्लाइस लेकर हल्के-हल्के से मसाज करें। आलू का जूस चेहरे पर लगाएं। रोज इसे चेहरे पर लगाने से चेहरा निखर जाता है।
अंडा- अंडे का पीला भाग यानी जर्दी को चेहरे पर लगाने से रंग गोरा हो जाता है। अंडे में शहद और नींबू मिलाकर लगाएं। जब पैक सूख जाए तो ठंडे पानी से चेहरा धो लें। स्किन ग्लो करने लगेगी।
नारियल पानी- नारियल पानी बहुत ही गुणकारी होता है। इसीलिए रोजाना नारियल पानी पीने से चेहरा चमकने लगता है। नारियल पानी से चेहरा धोने से दाग-धब्बे दूर हो जाते हैं। नारियल का पेस्ट बनाकर चेहरे पर लगाने से रंग निखरने लगता है।
तरबूज- तरबूज का सेवन गर्मियों में बेहद फायदेमंद होता है। इसमें पानी और पोषक तत्वों की मात्रा बहुत अधिक होती है। इसके नियमित सेवन से शरीर में ताजगी और ठंडक बनी रहती है। तरबूज का छोटा टुकड़ा लेकर चेहरे पर मलें। एक घंटे तक लगा रहने दें और फिर चेहरा धो लें।

Tuesday 15 November 2016

आज के समय की सबसे बडी समस्या मोटापा

आज के समय की सबसे बडी समस्या मोटापा है इससे बचने के कुछ उपाय.......
डेयरी प्रोडक्ट
अपने आहार में लो फैट दूध या दही को शामिल करें। दूध में फैट कम करने के लिए उसमें पानी मिलाने से बेहतर है कि मलाई उतार लें। पानी मिलाने से दूध में पोषक तत्व कम होते हैं, लेकिन उसकी वसा पर कोई खास असर नहीं पड़ता। सोया से बना पनीर , दूध और दही खा सकते हैं। जिन्हें दूध या सोया प्रॉडक्ट से एलर्जी है , वे राजमा , नींबू , टमाटर , मेथी , पालक , बादाम , काजू जैसी चीजें खाकर कैल्शियम की कमी पूरी कर सकते हैं।
मौसमी फल खाएं
मौसमी फलों का सेवन करना सेहत के लिए फायदेमंद होता है। अगर आप जूस के जगह साबुत फल खाएं तो बेहतर है। सेब और बेरी आदि लें। सेब में पेक्टिन केमिकल होता है। सेब के साथ - साथ ज्यादातर सभी फलों के छिलकों में पेक्टिन पाया जाता है। यह शरीर पर जमा फैट को कम करता है।
सोयाबीन और ड्राई फ्रूट्स
सोयाबीन में मौजूद लेसिथिन केमिकल सेल्स पर फैट जमा होने से रोकता है। हफ्ते में कम से कम तीन बार सोयाबीन खाने से शरीर में फैट से लड़ने की क्षमता बढ़ती है। सोयाबीन को अंकुरित करके रोज सुबह लिया जा सकता है। इसके अलावा लहसुन का रस शरीर में मौजूद फैट्स को कम करने में मददगार है। लहसुन कच्चा खाएं और चबाकर खाएं तो बेहतर है। साथ ही मुट्ठी भर नट्स रोज खाने चाहिए। इनमें बादाम , किशमिश , अखरोट और पिस्ता ले सकते हैं। लेकिन ये फ्राइड न हों और इनमें नमक भी नहीं होना चाहिए। 
भोजन से पहले फल
भोजन से पहले फल खाना एक अच्छा विकल्प है। किसी भी भारी भोजन से कम से कम 30 मिनट पहले फल खाने की सलाह दी जाती है। इस तरह, फल जल्दी पच जाएंगे। खाली पेट पर फल खाने से आपका सिस्टम विषरहित हो जाता है और वजन कम करने के लिए आपको ज्यादा ऊर्जा देता है।
सूप पिएं
भोजन की शुरुआत में सूप लें, क्योंकि यह आपकी भूख को नियंत्रित रखता है और खाना खाने की क्रिया को धीमा कर देता है। क्रीम युक्‍त सूप नहीं लें, यह वसा और कैलोरी में उच्च है।।।।
बाहर निकला हुआ पेट किसी को अच्छा नहीं लगता।
आइए करते हैं पेट अन्दर करने का उपाय....।
एक बरतन मे एक गिलास पानी गरम करें इसमेे आधा चम्मच अजवाइन, आधा चम्मच अदरक डाल कर उबाल ले जब पानी आधा बचे तो गिलास मे छान कर आधा नीबू का रस डाल कर दिन मे एक बार पियें।इससे बेट धीरे-धीरे कम हो जाये गा।।।।
(पाइलस से पीडित व्यक्ति इसे न पिये)

चावल के पानी में मौजूद प्रोटीन

चावल के पानी में मौजूद प्रोटीन, विटामिन और एंटी-ऑक्सीडेंट की पर्याप्त मात्रा के कारण यह त्वचा में नमी बरकरार रहती है। इसके इस्तेमाल से त्वचा की रंगत निखरती है। चेहरे के दाग-धब्बों और झुर्रियों दूर होते है। इसके अलावा माड़ से त्वचा में कसावट आती है और पोर्स टाइट होते हैं। इन खूबियों के चलते यह पानी एक अच्छा क्लींजर भी है।
इस्‍तेमाल का तरीका-----
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एक कप चावल को अच्‍छी तरह से साफ करके पानी में भिगो दें।
आधे घंटे के बाद जब चावल में मौजूद पोषक तत्‍व पानी में घुल जाये तो बर्तन को गैस में रख दें और चावल को पकने दें।
चावल पकने के बाद उसका माड़ निकाल लें और इसे ठंडा होने के लिए छोड़ दें।
फिर इस पानी से अपने चेहरे पर हल्के हाथों से मसाज करें।
मसाज करने के 10 मिनट बाद चावल के पानी से ही अपना चेहरा धोकर सूखे कपड़े से चेहरा पोंछ लें।
आपको तुरंत अपनी त्वचा में बदलाव नजर आने लगेगा।
बालों के लिए फायदेमंद-----
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त्‍वचा के साथ-साथ बालों के लिए भी चावल का पानी बहुत फायदेमंद होता है। अगर आप पतले और बेजान बालों की समस्‍या से परेशान है तो चावलों के पानी से बालों को धोये। चावल के पानी से बालों को धोने से बाल घने होने के साथ-साथ बालों में चमक भी बनी रहती है। चावल के पानी को अपने बालों में लगाकर 20 मिनट के लिए छोड़ दें। फिर शैम्‍पू और कंडीशनर से धो लें। आप महंगे ट्रीटमेंट के बिना पा सकते हैं, सुंदर और चमकीले बाल।
(लेकिन इस उपाय को अपनाने से पहले चिकित्‍सक से सलाह जरूर लें।)

Friday 4 November 2016

दुनिया का सबसे विवादित मुद्दा जिसके बारे में मजाक उड़ाते हैं हम

दुनिया का सबसे विवादित मुद्दा
जिसके बारे में मजाक उड़ाते हैं हम
इतिहास में एक ऐसी भी अवस्था थी, जब स्त्री-पुरुष संभोग के सामाजिक नियम नहीं बने थे और न ही यौन शुचिता और नैतिकता का बोध विकसित हुआ था। संभोग क्रिया में रिश्ते-नाते नहीं देखे जाते थे, क्योंकि ऐसे संबंध उन दिनों बने ही नहीं थे। किसी भी स्त्री के साथ संभोग करना, पशुओं की तरह कहीं भी खुले में संभोग करना, अल्पवयस्क बालिकाओं को साथ संभोग करना और यहां तक कि पशुओं के साथ यौन क्रीड़ा करना आम बात थी। सेक्स स्वच्छंद एवं निर्बंध था।


सभ्यता के विकास के साथ सेक्स के संबंध में सामाजिक रीतियां विकसित हुईं और नैतिक मानदंड स्थापित हुए। इसे हम ऐतिहासिक समाजशास्त्रीय संदर्भ में समझ सकते हैं।



महाभारत के 'आदिपर्व' के 63वें अध्याय में पाराशर ऋषि और मत्स्यगंधा सत्यवती के बीच खुले में संभोग का वर्णन मिलता है। 'आदिपर्व' के 104वें अध्याय में यह वर्णन मिलता है कि उत्थत के पुत्र दीर्घतमा ने सब लोगों के सामने ही स्त्री के साथ संभोग शुरू कर दिया। इसी पर्व के 83वें अध्याय में गुरु-पत्नी के साथ संभोग करने, पशुओं के समान यौन क्रीड़ा करने वाले मलेच्छ लोगों का वर्णन भी मिलता है।
जब नहीं थे कोई रिश्ते-नाते, प्राचीन समाज में खुला था सेक्स व्यवहार


आधुनिक इतिहास में यह वर्णन मिलता है कि महाराजा रणजीत सिंह हाथी के हौदे में सबके सामने संभोग किया करते थे। पुणे में बाजीराव के जमाने में 'घटकंचुकी' नाम का एक खेल खेला जाता था। अभिजात वर्ग के चुने हुए स्त्री-पुरुष रंगमहल में जुटते थे। वहां औरतों की कंचुकियां (चोली) एक घड़े में डाली जाती थी और फिर जिस पुरुष को जिस स्त्री की कंचुकी हाथ लगती थी, वो सबके सामने उस स्त्री के साथ संभोग करता था।


इस प्रथा का प्रचलन कर्नाटक प्रदेश में आजादी मिलने के कुछ पहले तक था। सामूहिक संभोग (ग्रुप सेक्स) के ऐसे आयोजनों में उम्र अथवा रिश्ते-नाते का कोई विचार नहीं किया जाता था। ऐसा माना जाता है कि प्राचीन काल में तमिल लोग भी खुले में सबके सामने संभोग किया करते थे। इतिहास के जनक कहे जाने वाले हेरोडेट्स ने लिखा है कि शक लोगों को जब संभोग की इच्छा होती थी, तो वे रथ से अपना तरकश लटका खुले ...
...में काम-क्रीड़ा करते थे। वेदों में यज्ञभूमि पर सामूहिक रूप से संभोग करने के वर्णन मिलते हैं। 


कौटंबिक सेक्स (Incest) का उल्लेख पौराणिक ग्रंथों में काफी मिलता है। 'हरिवंश' में यह उल्लेख मिलता है कि महर्षि वशिष्ठ की पुत्री शतरूपा ने उन्हें पति माना और उनके साथ यौन संबंध बनाए। इसी ग्रंथ में यह उल्लेख है कि दक्ष ने अपनी कन्या अपने पिता ब्रह्मदेव को दी, जिससे नारद का जन्म हुआ। 'हरिभविष्य पर्व' के अनुसार इंद्र ने अपने पड़पोते जनमेजय की पत्नी वपुष्टमा के साथ संभोग किया। 'हरिवंश' में ही यह उल्लेख मिलता है कि सोम के पुत्र दक्ष प्रजापति ने अपनी कन्यायें पिता को दी। जब जनमेजय ने इसे अनैतिक कृत्य बताया तो महर्षि वैंशपायन ने कहा कि यह प्राचीन रीति है। 
महाभारत के 'आदिपर्व' में कहा गया है कि कामातुर स्त्री यदि एकांत में संभोग की इच्छा प्रकट करे तो उसे पूरा किया जाना चाहिए, नहीं तो धर्म की दृष्टि से यह भ्रूण हत्या होगी। उलूपी अर्जुन से स्पष्ट कहती है कि स्त्री की इच्छा पूर्ति लिए एक रात संभोग करना अधर्म नहीं। 


पौरव वंश की जननी उर्वशी अर्जुन पर कामासक्त हुई। उसने अर्जुन से कहा कि पुरु वंश के जो पुत्र या पौत्र इंद्रलोक में आते हैं, वे हमसे रति-क्रीड़ा करते हैं। यह अधर्म नहीं है। अर्जुन ने उसकी याचना स्वीकार नहीं की, तब उर्वशी ने उसे नपुंसक होने का शाप दिया। 'वनपर्व' में यह भी उल्लेख मिलता है कि महर्षि अगस्त्य ने अपनी कन्या को विदर्भ के राजा के पास रखा और जब वह विवाह-योग्य हुई तो स्वयं उसके साथ विवाह किया। 

ऋग्वेद के दसवें मंडल में यम-यमी संवाद उस समय प्रचलित यौन संबंधों की परिपाटी को समझने के लिए बहुत ही महत्त्वपूर्ण है। यमी अपने भाई से संभोग की इच्छा प्रकट करती है। यम के इनकार करने पर वह फिर आग्रह करती है और कहती है कि भाई के रहते बहन अनाथ रहे और उसे दुख भोगना पड़े तो भाई किस काम का? 

'किं भ्राता सद्यदानार्थ भवाति। 
किमु स्वसा यन्निर्ऋति र्नि गच्छात।।' 
स्पष्ट है, उस काल में भाई-बहन के रिश्ते पूरी तरह निर्धारित नहीं हुए थे। भ्रातृ शब्द भृ से निकला है, जिसका अर्थ है पालन करने वाला, भरण-पोषण करने वाला। बाद में इसी से अपभ्रंश भर्तार और भतार शब्द निकला, जिसका ...

...प्रयोग पति के लिए किया जाता है।

जब नहीं थे कोई रिश्ते-नाते, प्राचीन समाज में खुला था सेक्स व्यवहार

प्राचीन काल में यौन संबंधों के बारे में इतिहासकार लेर्तुनो ने लिखा है कि चिपेवे कभी-कभी अपनी माताओं, बहनों और पुत्रियों के साथ संभोग किया करते थे। कादिएकों में भाई-बहनों और पिता-पुत्रियों के बीच खुलेआम यौन संबंध प्रचलित थे। कारिब मां और बेटियों के साथ संभोग किया करते थे। प्राचीन आयरलैंड में भी मां एवं बहनों के साथ संभोग का प्रचलन था।


महाभारत के 'आदिपर्व' में उल्लेख है कि यौन संबंधों की सीमाओं का निर्धारण उद्दालक का पुत्र श्वेतकेतु करता है। एक ब्राह्मण जब संभोग करने के लिए उसकी माता का हाथ पकड़ता है तो वह क्रोधित हो जाता है, लेकिन उद्दालक कहता है कि स्त्रियों द्वारा उन्मुक्त संभोग करना धर्म यानी मान्य व्यवहार है।


समय के साथ, जैसे-जैसे सभ्यता विकसित होती है, यौन संबंधों का स्पष्ट निर्धारण और सीमांकन होने लगता है, पर महाभारत काल तक पूरी तरह ऐसा नहीं हो पाता। कर्ण शल्य की निंदा करते हुए मद्र देश (पंजाब) की औरतों के बारे में कहता है कि वहां की स्त्रियां किसी भी पुरुष से स्वेच्छा से संभोग करती हैं, चाहे वे उनके परिचित हों या नहीं। वे बेहूदा गाने गाती हैं, शराब पीती हैं और नग्न होकर नाचती हैं। वे वैवाहिक विधियों से नियंत्रित नहीं हैं। मद्र देश की कुमारियां निर्लज्ज और विलासिनी होती हैं। दुर्योधन ने कर्ण को अंग देश का शासक बनाया था, इसलिए शल्य कहता है कि अंग देश में औरतों और बच्चों की बिक्री होती है।

जब नहीं थे कोई रिश्ते-नाते, प्राचीन समाज में खुला था सेक्स व्यवहार

जाहिर है, यौन संबंधों का नियमन सभ्यता और संस्कृति के विकास के साथ क्रमिक रूप में हुआ। पर सेक्स की आदिम इच्छा समय-समय पर मनुष्य में बलवती हो जाती है। यही कारण है कि आज भी हम ऐसे यौन संबंधों के बारे में सुनते हैं, जिन्हें अवैध एवं अनैतिक कहा जाता है। कौटंबिक व्यभिचार की न जाने कितनी घटनाएं प्रकाश में आती हैं। सभ्य मनुष्य के लिए ऐसे संबंध गर्हित हैं, पर भूलना न होगा कि सेक्स एक आदिम प्रवृत्ति है। समाज जहां अति आधुनिक होता चला जा रहा है, वहीं सेक्स संबंधों का पूरी तरह नियमन ...
..हो चुका है। पर आदिम प्रवृत्तियां जब-तब सिर उठाती ही रहती हैं। 




सेक्स के अजीबोगरीब मानसिक रोग, जो इंसान को बना देते हैं पलभर में वहशी 


मनुष्य के यौन व्यवहार में एक से एक विचित्रताएं मिलती हैं। आदिम युग में मनुष्य पशुओं की तरह स्वच्छंद एवं उन्मुक्त संभोग करता था। उस ज़माने में न तो परिवार था और न ही सेक्स को लेकर किसी प्रकार की नैतिक अवधारणा का विकास हो पाया था। 



सेक्स सिर्फ जैविक आवश्यकताओं की पूर्ति भर था। समूह का कोई भी पुरुष किसी भी स्त्री के साथ यौन संबंध कायम कर लेता था। किसी के साथ संबंध बनाने पर कोई रोक-टोक नहीं थी। यह अलग बात है कि शारीरिक रूप से ताकतवर लोग ही मनचाही औरतों के साथ संबंध बना पाते थे, वहीं कमजोर औरतों को हासिल कर पाने में असफल हो जाते थे। 




सभ्यता के विकास के साथ यौन शुचिता और सेक्स व्यवहार के संबंध में नैतिक मानदंड विकसित हुए। पर सभ्यता के विकास के साथ ही, मनुष्य के सेक्स व्यवहार में कई तरह की विकृतियां भी सामने आने लगी। देखा जाये तो पहले जो स्वाभाविक था, सांस्कृतिक विकास के क्रम में वह अस्वाभाविक हो गया। 



मानव मन सेक्स के संबंध में बहुत ही कल्पनाशील होता है। उसकी कल्पनाएं एक से बढ़ कर एक और अजीबोगरीब होती हैं, पर वह उन्हें व्यवहारिक रूप नहीं देता, क्योंकि उस पर सामाजिक नैतिकता का बंधन होता है। 



जहां यह बंधन ढीला होता है अथवा व्यक्ति को अपनी गोपनीय सेक्स कल्पनाओं-फैंटेसी को पूरा करने का मौका मिलता है, वह सामान्य सेक्स व्यवहार से हट कर विकृत सेक्स व्यवहार का प्रदर्शन करने लगता है। 



पीपींग का मतलब है, चोरी-छुपे संभोगरत जोड़ों को देखना और इसी से यौन संतुष्टि प्राप्त करना। संभोगरत अवस्था में किसी को देखने से रोमांच की स्वाभाविक अनुभूति होती है। 



पीपींग एक आमफहम प्रवृत्ति है। एक हद तक इसे स्वभाविक भी कहा गया है। हेवलॉक एलिस ने अपनी पुस्तक 'साइकोलॉजी ऑफ सेक्स' में लिखा है कि बड़े-बड़े सम्मानीय लोग अपनी जवानी के दिनों में दूसरी औरतों को सेक्स करते हुए देखने के लिए उनके कमरों में ताकाझांकी किया करते थे। 

यही नहीं, सम्मानित मानी जाने वाली औरतें भी पर-पुरुषों के शयन कक्षों में झांकने ...
..ने लिखा है कि चिपेवे कभी-कभी अपनी माताओं, बहनों और पुत्रियों के साथ संभोग किया करते थे। कादिएकों में भाई-बहनों और पिता-पुत्रियों के बीच खुलेआम यौन संबंध प्रचलित थे। कारिब मां और बेटियों के साथ संभोग किया करते थे। प्राचीन आयरलैंड में भी मां एवं बहनों के साथ संभोग का प्रचलन था। 


महाभारत के 'आदिपर्व' में उल्लेख है कि यौन संबंधों की सीमाओं का निर्धारण उद्दालक का पुत्र श्वेतकेतु करता है। एक ब्राह्मण जब संभोग करने के लिए उसकी माता का हाथ पकड़ता है तो वह क्रोधित हो जाता है, लेकिन उद्दालक कहता है कि स्त्रियों द्वारा उन्मुक्त संभोग करना धर्म यानी मान्य व्यवहार है। 


समय के साथ, जैसे-जैसे सभ्यता विकसित होती है, यौन संबंधों का स्पष्ट निर्धारण और सीमांकन होने लगता है, पर महाभारत काल तक पूरी तरह ऐसा नहीं हो पाता। कर्ण शल्य की निंदा करते हुए मद्र देश (पंजाब) की औरतों के बारे में कहता है कि वहां की स्त्रियां किसी भी पुरुष से स्वेच्छा से संभोग करती हैं, चाहे वे उनके परिचित हों या नहीं। वे बेहूदा गाने गाती हैं, शराब पीती हैं और नग्न होकर नाचती हैं। वे वैवाहिक विधियों से नियंत्रित नहीं हैं। मद्र देश की कुमारियां निर्लज्ज और विलासिनी होती हैं। दुर्योधन ने कर्ण को अंग देश का शासक बनाया था, इसलिए शल्य कहता है कि अंग देश में औरतों और बच्चों की बिक्री होती है। 

जब नहीं थे कोई रिश्ते-नाते, प्राचीन समाज में खुला था सेक्स व्यवहार 

जाहिर है, यौन संबंधों का नियमन सभ्यता और संस्कृति के विकास के साथ क्रमिक रूप में हुआ। पर सेक्स की आदिम इच्छा समय-समय पर मनुष्य में बलवती हो जाती है। यही कारण है कि आज भी हम ऐसे यौन संबंधों के बारे में सुनते हैं, जिन्हें अवैध एवं अनैतिक कहा जाता है। कौटंबिक व्यभिचार की न जाने कितनी घटनाएं प्रकाश में आती हैं। सभ्य मनुष्य के लिए ऐसे संबंध गर्हित हैं, पर भूलना न होगा कि सेक्स एक आदिम प्रवृत्ति है। समाज जहां अति आधुनिक होता चला जा रहा है, वहीं सेक्स संबंधों का पूरी तरह नियमन हो चुका है। पर आदिम प्रवृत्तियां जब-तब सिर उठाती ही रहती हैं। 




सेक्स के अजीबोगरीब मानसिक रोग, जो इंसान को बना देते हैं पलभर में वहशी 


मनुष्य के यौन व्यवहार में एक से एक विचित्रताएं मिलती हैं। आदिम युग में मनुष्य पशुओं की तरह स्वच्छंद एवं ...
.उन्मुक्त संभोग करता था। उस ज़माने में न तो परिवार था और न ही सेक्स को लेकर किसी प्रकार की नैतिक अवधारणा का विकास हो पाया था।



सेक्स सिर्फ जैविक आवश्यकताओं की पूर्ति भर था। समूह का कोई भी पुरुष किसी भी स्त्री के साथ यौन संबंध कायम कर लेता था। किसी के साथ संबंध बनाने पर कोई रोक-टोक नहीं थी। यह अलग बात है कि शारीरिक रूप से ताकतवर लोग ही मनचाही औरतों के साथ संबंध बना पाते थे, वहीं कमजोर औरतों को हासिल कर पाने में असफल हो जाते थे।




सभ्यता के विकास के साथ यौन शुचिता और सेक्स व्यवहार के संबंध में नैतिक मानदंड विकसित हुए। पर सभ्यता के विकास के साथ ही, मनुष्य के सेक्स व्यवहार में कई तरह की विकृतियां भी सामने आने लगी। देखा जाये तो पहले जो स्वाभाविक था, सांस्कृतिक विकास के क्रम में वह अस्वाभाविक हो गया।



मानव मन सेक्स के संबंध में बहुत ही कल्पनाशील होता है। उसकी कल्पनाएं एक से बढ़ कर एक और अजीबोगरीब होती हैं, पर वह उन्हें व्यवहारिक रूप नहीं देता, क्योंकि उस पर सामाजिक नैतिकता का बंधन होता है।



जहां यह बंधन ढीला होता है अथवा व्यक्ति को अपनी गोपनीय सेक्स कल्पनाओं-फैंटेसी को पूरा करने का मौका मिलता है, वह सामान्य सेक्स व्यवहार से हट कर विकृत सेक्स व्यवहार का प्रदर्शन करने लगता है।



पीपींग का मतलब है, चोरी-छुपे संभोगरत जोड़ों को देखना और इसी से यौन संतुष्टि प्राप्त करना। संभोगरत अवस्था में किसी को देखने से रोमांच की स्वाभाविक अनुभूति होती है।



पीपींग एक आमफहम प्रवृत्ति है। एक हद तक इसे स्वभाविक भी कहा गया है। हेवलॉक एलिस ने अपनी पुस्तक 'साइकोलॉजी ऑफ सेक्स' में लिखा है कि बड़े-बड़े सम्मानीय लोग अपनी जवानी के दिनों में दूसरी औरतों को सेक्स करते हुए देखने के लिए उनके कमरों में ताकाझांकी किया करते थे।

यही नहीं, सम्मानित मानी जाने वाली औरतें भी पर-पुरुषों के शयन कक्षों में झांकने की कोशिश किया करती थीं।




सैम्बियन्स, पपुआ न्यू गिनी (वीर्य पीने वाले आदिवासी)

इस आदिम जनजाति में मर्द बनने के लिए सात साल की उम्र से ही महिलाओं के साथ उठना-बैठना बंद करना होता है और अगले दस सालों तक बड़े पुरुषों की संगति लेनी होती है। इतना ही नहीं, बड़े लोगों की तरह सोचने और ताकत पाने के लिए यह उनका वीर्य भी निगल लेते ...
...हैं। हमेशा नाक से खून निकलता रहे, इसके लिए हर रोज अधिक मात्रा में गन्नों को चूसना होता है। नाक से खून कुछ इस तरह निकलता है, जैसे औरतों को मासिक धर्म होता है। 

Thursday 3 November 2016

ये हैं कामेच्‍छा बढ़ाने वाले एक्‍यूप्रेशर प्‍वॉइंट

ये हैं कामेच्‍छा बढ़ाने वाले एक्‍यूप्रेशर प्‍वॉइंट

लिबिडो यानी कामेच्‍छा अगर शांत हो जाये तो उसमें जान डालने उसे बढ़ाने के लिए एक्‍यूप्रेशर तकनीक का सहारा ले सकते हैं, 



    लिबिडो कामेच्छा बढ़ाने वाला एक जरूरी हार्मोन है जिसकी कमी से इंसान में कामेच्छा की इच्छा कम हो जाती है। अगर आपमें अचानक से कामेच्छा की इच्छा कम हो जाती है तो कुछ अल्टरनेटिव थैरेपी इस्तेमाल करें। अल्टरनेटिव थैरेपी में एक्यूप्रेशर प्वाइंट का इस्तेमाल सबसे अधिक फायदेमंद होता है। लिबिडो बढ़ाने के लिए एक खास एक्यूप्रेशर प्वाइंट होता है जाता प्रेशर डाल कर कामेच्छा बढाई जा सकती है।

    चाइनीज थैरेपी एक्यूप्रेशर प्वाइंट बहुत सारी बीमारियों को ठीक करने के लिए उपयोग की जाती है। अगर आपको अपनी कामेच्छा से संबंधित समस्या के बारे में किसी को भी बताने में शर्म आ रही है तो इस एक्यूप्रेशर प्वाइंट का इस्तेमाल करें।
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लो लिबिडो के कारण

    40 फीसदी महिलाओं की ये शिकायत होती है कि उन्हें रजोनिवृत्ति के बाद कामेच्छा खत्म हो जाती है। ऐसा केवल वजाइना के सूखने के कारण होता है जो कि लिबिडो हार्मोन की कमी से होता है। इसके लिए इस एक्यूप्रेशर प्वाइंट में प्रेशर डालकर लिबिडो हार्मोन को शरीर में रीलिज करने में मदद मिलेगी।

    इसी तरह 50 फीसदी पुरुषों में 30 की उम्र के बाद टेस्टोस्टेरोन लेवल कम हो जाता है जो 70 की उम्र तक बिल्कुल खत्म हो जाता है। जैसे-जैसे पुरुषों में टेस्टोस्टेरोन लेवल कम होते जाता है उनकी कामेच्छा की इच्छा भी खत्म होती जाती है। ऐसे पुरुषों के लिए भी ये एक्यूप्रेशर प्वाइंट वाला उपाय कारगर होगा।


लिबिडो एक्यूप्रेशर प्वाइंट

    एक्यूप्रेशर थैरेपी के जरिये शरीर में लिबिडो हार्मोन को बढ़ाने में मदद मिलेगी। शरीर में लिबिडो एक्यूप्रेशर प्वाइंट दो जगह होते हैं। 
    • स्टोमक प्वाइंट - शरीर में लिबिडो हार्मोन बढ़ाने के लिए पेट में नाभी की जगह पर उंगुलियों के पोर से चार-पांच मिनट तक प्रेशर डालते रहें। इसी तरह से प्रेशर डालते हुए नाभी से दो उंगुली नीचे जाएं। थोड़ी देर वहां पर प्रेशर डालें। ऐसा सुबह-शाम दस-दस मिनट के लिए करें। इससे लिबिडो हार्मोन शरीर में रीलिज होगा और आपमें कामेच्छा उत्पन्न होगी।  
    • किडनी प्वाइंट - किडनी आपके शरीर का सबसे अधिक प्रोडक्टिव पार्ट है जिसके आधार पर शरीर की जीवन-क्रिया चलती है। लिबिडो हार्मोन के लिए किडनी प्वाइंट काफी हेल्पफुल है। किडनी प्वाइंट एंकल बोन में होती है। एंकल प्वाइंट पर उंगुलियों के पोर से प्रेशर डालें। इससे एचिल्स टेंडन पर प्रेशर पड़ता है जो किडनी से जुड़ी होती है। ये आपको रिलेक्स करता है और शरीर में लिबिडो हार्मोन रीलिज करता है।

यह तो हम सभी जानते हैं कि सेक्स न केवल आनंददायक और रिश्तों को मज़बूत बनाने वाला होता है बल्कि यह हमारे स्वास्थ्य के लिए भी फायदेमंद होता है।

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सेक्स के फायदे

यह तो हम सभी जानते हैं कि सेक्स न केवल आनंददायक और रिश्तों  को मज़बूत बनाने वाला होता है बल्कि यह हमारे स्वास्थ्य  के लिए भी फायदेमंद होता है।

QUICK BITES

  • सेक्स कई तरह से हमारे स्वास्थ्य के लिए भी फायदेमंद होता है।
  • सेक्स करने से प्रतिरक्षा तंत्र (इम्यून सिस्टम) मज़बूत होता है।
  • सुरक्षित सेक्स करने से ऑक्सीटोसिन हॉर्मोन का स्तर बढ़ाता है। 
  • सामान्य सर्दी जुकाम और दूसरे संक्रमणों से आपको सुरक्षा मिलती है।

    यह तो हम सभी जानते हैं कि सेक्स न केवल आनंददायक और रिश्तों को मज़बूत बनाने वाला होता है बल्कि यह हमारे स्वास्थ्य के लिए भी फायदेमंद होता है। लेकिन यह किस तरह से फायदेमंद है इसे जानना शायद आपके लिए आश्चर्य भरा हो सकता है। जो इसे नहीं समझते कि यह सम्पूर्ण जीवन तथा सम्बन्धों की गुणवत्ता  के लिए काफी फायदेमंद हो सकती है उनके लिए लैंगिक संभोग की क्रिया अभी भी बहुत लोगों के लिए परेशानी और घृणा का विषय होती है। निम्न कुछ बाते अच्छे सेक्स सम्बन्धों को काफी फायदे पहुंचाता है।

    सेक्स निम्न रक्त चाप में मस्तिष्क और शरीर का तनाव घटाने में मदद करता है। नियमित सेक्स करने से आपका शरीर तनावपूर्ण दशाओं का बेहतर सामना करने के लिए तैयार होता है और आपका ब्लड प्रेशर बढ़ने नहीं देता। तनाव का सामना करने के लिए सेक्स क्रिया का प्रवेश (योनि में लिंग का प्रवेश) होना ज़रूरी नहीं है दूसरी सेक्स गतिविधियाँ जैसे आलिंगन और अंतरंग गर्माहट के पल भी मददगार हो सकते हैं। सेक्स के दूसरे रूपों के बजाय प्रवेश्न सेक्स अधिक रिलैक्स करने वाला और तनाव दूर करने वाला होता है। मानवीय शरीर का निकट स्पर्श बहुत आरामदायक होता है जो सुरक्षा की अनुभूति कराता है। इससे आपको रोजमर्रा के जीवन में स्थितियों का  बेहतर ढंग से सामना करने में मदद मिलती है।

सेक्स एक व्यायाम के रूप में

    सेक्स एक बेहतरीन व्यायाम की तरह आपके लिए लाभदायक है क्योंकि सेक्स के दौरान आपके शरीर की सभी मांसपेशियां खिंचती और खुलती हैं। सेक्स आपकी अतिरिक्त  कैलोरी जलाने में भी मदद करता है और यह व्यायाम करने का सबसे आनंददायक तरीका है। पूरी क्षमता से की गई एक बार सेक्स क्रिया से उतनी कैलोरी जल जाती है जितनी कैलोरी पन्द्रह मिनटों तक ट्रेड मिल पर ब्रिस्क वॉक करने पर खर्च होगी।

सेक्स हृदय के स्वास्‍थ्‍य के लिए लाभकारी

    सेक्स रक्त संचार सुधारता है और कोलेस्ट्रॉल का स्तर ठीक करता है। सेक्स क्रिया के दौरान हृदय तेज गति से धड़कता है और ज़्यादा मात्रा में रक्त को पम्प  करता है जिससे रक्त संचार तेज होता है। सप्ताह में एक बार सेक्स़ करने से आपके लिए हृदयाघात (हार्ट अटैक) से पीड़ित होने का खतरा कम हो जाता है।

सैक्स फीलगुड का अहसास कराए

    सेक्स  सामान्य तंदुरूस्ती को बढ़ाता है और आपके आत्मविश्वास के स्तर को बढ़ा देता है। निरर्थक सेक्स प्यार भरे सेक्स  की तरह कारगर नहीं होता। अध्ययनों से पता चला है कि शादीशुदा या एक दूसरे के प्रति वफादार जोड़े बेहतर संतु‍ष्ट जीवन बिताते हैं। आपसी वफादारी और घनिष्ठता से आपको भावनात्मक सुरक्षा का अहसास होता है और आंतरिक खुशियां मिलती हैं। प्यार भरे इन क्षणों के दौरान आपको अपने साथी के लिए प्यार और महत्वपूर्ण होने का अहसास आपकी आत्म-प्रतिष्ठा को भी बढ़ा देता है।

सेक्स-एक रिश्ते मज़बूत बनाने वाला अनुभव

    आपको प्यार करने वाले जोड़ीदार (पार्टनर) की निकटता और चरमसुख की ओर बढ़ने का आनंद दोनों मिलकर "प्यार के हॉर्मोन" ऑक्सीटोसिन का स्तर बढ़ा देते हैं जिससे आपसी सम्बन्ध और रिश्ते मज़बूत होते हैं। अच्छे  सेक्स से लम्बे समय के रिश्तों में महबूती आती हैं ।

सेक्स जो प्रतिरोधी क्षमता मज़बूत करे

    सेक्स आपके प्रतिरक्षा तंत्र (इम्यून सिस्टम) को मज़बूत करके आपको संक्रमणों और बीमारियों से बचाए रख सकता है। एक सप्ताह में एक या दो बार सेक्स करने से सामान्य सर्दी जुकाम और दूसरे संक्रमणों से आपको सुरक्षा मिलती है।


सेक्स दर्दनिवारक (पेनकिलर) के रूप में

    सेक्स ऑक्सीटोसिन हॉर्मोन का स्तर बढ़ाता है जिसके परिणामस्वरूप एंडॉर्फिन्सक या "हैप्पी  हॉर्मोन" रिलीज होता है। एंडॉर्फिन्सक दर्द से छुटकारा दिलाने में मददगार है जिससे सिरदर्द, जोड़ों के दर्द और यहां तक कि मासिक पूर्व लक्षणों में भी राहत मिलती है।

सेक्‍स लाइफ को बेहतर बनाने के खास टिप्‍स

सेक्स को स्वास्‍थ्‍य के लिए बेहतर माना जाता है और ऐसा भी माना जाता है कि सेक्स संबंध में खटास को दूर करता है। आइए जानें बेहतर सेक्स लाइफ के टिप्स।

QUICK BITES

  • सेक्स करने से पहले ओरल सेक्स करना बेहतर।
  • आना चाहिए सेक्स लाइफ को कैसे बेहतर एन्जॉय करना।
  • सेक्स से पहले फोरप्ले किये जाने से सेक्स होता है सफल।
  • आपसी प्यार और रिश्ते की मजबूती के लिए जरूरी है सेक्स।

    सेक्स को स्वास्‍थ्‍य के लिए भी अच्‍छा माना जाता है। लेकिन जरूरी है कि सेक्स का आनंद लेने के लिए उसके बारे में सही तरीका पता हो। सेक्स के सिंपल टिप्स अपनाकर आप अपनी
     सेक्स लाइफ को बेहतर बना सकते हैं। आइए जानें बेहतर सेक्स लाइफ के टिप्स।

    • सेक्स करने से पहले ओरल सेक्स करना बेहतर रहता है। यह सेक्स क्रिया में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इससे आप सेक्स का आनंद अच्छे से उठा सकते हैं।
    • महिलाएं अकसर सेक्स के लिए पहल करने से हिचकिचाती है लेकिन उनके द्वारा उठाया गया ये कदम बेहतर सेक्स लाइफ के लिए जरूरी है।
    • महिला हो या पुरूष उन्हें इस बात का पता होना चाहिए कि उन्हें किन चीजों से खुशी मिलती है और वह सेक्स लाइफ को कैसे बेहतर एन्जॉंय कर सकती हैं।
    • जरूरी नहीं कि एकदम से बिना योजना बनाएं आपका साथी सेक्स के लिए तैयार हो जाएं इसके लिए आपको उसे राजी करना होगा और ऐसा माहौल तैयार करना होगा जिससे वह खुद-ब-खुद आपको सेक्स के लिए कहें।
    • सेक्स का आनंद उठाने के लिए जरूरी है कि सेक्स से पहले फोरप्ले किया जाए।
    • आपसी प्यार और रिश्ते की मजबूती के लिए बहुत जरूरी है आपसी बातचीत। इससे सेक्स लाइफ में भी आप एन्जॉय भी कर सकते हैं और अपने साथी को अपने करीब भी पा सकते हैं।
    • अच्छी सेक्स लाइफ के लिए आपका स्वस्थ रहना बहुत आवश्यक है, इसके लिए महत्वपूर्ण अच्छा खान-पान, व्यायाम, भरपूर नींद।
    • सेक्स के इन सिंपल टिप्स को अपनाकर न सिर्फ आप आपसी संबंधों में खटास को दूर कर सकते हैं बल्कि सेक्स का आनंद भी उठा सकते हैं।
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गर्भवती के लिए सेक्‍स की सबसे बेस्‍ट पॉजिशन

गर्भावस्था के दौरान ज्‍यादा कपल्‍स को लगता है कि सेक्‍स करने से बच्‍चे पर बुरा असर पड़ेगा। अगर आप भी ऐसा ही सोचते हैं तो यहां दी कुछ सेक्स पॉजिशन को अपनाकर आप सेक्‍स का पूरा मजा ले सकते हैं।

QUICK BITES

  • सेक्‍स करने से बच्‍चे पर बुरा असर पड़ेगा।
  • कुछ पॉजिशन शिशु और मां के लिए सु‍रक्षित।
  • वुमन ऑन टॉप पॉजिशन से लें सेक्‍स का आनंद।
  • गर्भावस्‍था में स्पूनिंग पॉजिशन सबसे सेफ माना जाती है।
  • गर्भवती होने के बाद ज्‍यादातर महिलाओं की कोशिश होती है कि वह अपने पति से दूरी बनाकर रखें। क्‍योंकि उनको लगता है कि गर्भावस्था में सेक्‍स करने से बच्‍चे पर बुरा असर पड़ेगा। लेकिन क्‍या गर्भावस्‍था के दौरान सेक्‍स करने से वाक्‍य में बच्‍चे पर असर पड़ता है? क्‍या 9 महीने तक सेक्‍स बिल्‍कुल नहीं करना चाहिए? अगर आप भी इन सवालों के जबाव ढूंढ रहे हैं तो यह आर्टिकल को जरूर पढ़ें।

    डॉक्‍टर गर्भवती महिलाओं को संभोग के लिए सख्‍ती से मना तभी करते हैं, जब बच्‍चे में किसी प्रकार के कॉम्‍प्‍लीकेशन हों। यदि बच्‍चे की ग्रोथ अच्‍छी है, तो तीन महीने पूरे होने पर सेक्‍स किया जा सकता है। गर्भावस्था के दौरान आप पूरी तरह से सेक्‍स का आनंद ले सकते हैं सिर्फ जरूरत है कुछ एहतियात बरतने की। उसका ध्‍यान पति को ज्‍यादा रखना पड़ता है, क्‍योंकि गर्भावस्‍था के दौरान अधिकांश महिलाओं में सेक्‍स करने की इच्‍छा तीव्र होती है। इसलिए गर्भावस्था के दौरान सेक्स करते समय पॉजिशन का ध्‍यान रखना जरूरी होता है। कुछ सेक्‍स पोजीशन ऐसी हैं, जो शिशु और मां दोनों के लिए सु‍रक्षित होता है। आइए ऐसे की कुछ पॉजिशन के बारे में जानते हैं

वुमन ऑन टॉप पॉजिशन  

    गर्भावस्‍था के दौरान इस पॉजिशन से सेक्‍स का आनंद उठाया जा सकता है। इस पॉजिशन में महिला पुरुष के ऊपर होती है, जिससे पेट पर किसी तरह का दबाव पड़ने का डर नहीं रहता है और महिला अपने गर्भ के शिशु की सुरक्षा का भी पूरा ध्‍यान रख सकती है। लेकिन ऐसी अवस्‍था में किस लेते समय सावधानी बरतनी चाहिए, क्‍योंकि किस लेते समय महिला का पेट दब सकता है।

एज ऑफ द बेड पॉजिशन   

    इस पॉजिशन में महिला बिस्तर के किनारे पैरों को नीचे करके लेटती हैं और पुरूष घुटनों के बल बिस्तर के किनारे बैठता है। मां और शिशु को हानि पहुंचने का खतरा भी न के बराबर होता है। या पुरुष किसी आरामदायक कुर्सी, बैड, आर्मचेयर आदि पर बैठे। उसके ऊपर महिला बैठ जाए और संभोग कर सेफ सेक्‍स किया जा सकता है।

रिवर्स काउगर्ल पॉजिशन   

    रिवर्स काउगर्ल उन कपल्स के लिए अच्छा है जो पुरूष अपने साथी के पेट को देखकर चितिंत होने के कारण सेक्स करने से डरते हैं। यह वुमन ऑन टॉप की ही तरह होता है फर्क सिर्फ इतना है कि इस सेक्‍स पॉजिशन में महिला पुरूष के दूसरे तरफ मुंह करके बैठती है।

स्पूनिंग पॉजिशन   

    गर्भावस्‍था में सेक्‍स की यह सबसे सुरक्षित पॉजिशन माना जाती है। इस पोजिशन में जिसप्रकार चम्मच एक साथ रखा रहता है उसी तरह दोनों साथी सेक्‍स अवस्था में होते हैं। इस पोजिशन में दोनों सेक्स का पूरा आनंद सुरक्षा को ध्यान में रख कर उठा सकते हैं। इसमें पुरूष महिला के नीचे होता है और महिला के आराम को ध्यान में रख कर पूरा आनंद उठा पाता है।

अन्‍य पॉजिशन

    • इस पॉजिशन में महिला अपनी तरफ सिकुड़कर लेट जाती है और पुरूष पीछे लेटकर सेक्‍स की क्रिया करता है। इससे भी गर्भ पर असर नहीं पड़ता। इस पॉजिशन की खास बात यह है कि आप इस पॉजिशन में सेक्‍स आठवें व नवें महीने तक किया जा सकता है।
    • इस पॉजिशन में महिला पीठ के बल टखने मोड़कर लेट जाती है और अपनी टांगें पुरूष के कंधे पर रखकर सेक्‍स करती है। इस पोजिशन में भी पेट पर दबाव नहीं पड़ता।
    • इस पॉजिशन में पुरुष और महिला एक दूसरे के सामने लेट महिला अपना बायां पैर पुरूष के शरीर पर रख देती। इस अवस्‍था में सेक्‍स करने से गर्भ को झटके नहीं लगते। हालांकि सातवें महीने से ऐसा करना थोड़ा कठिन होता है।
    गवस्‍था में सेक्‍स के दौरान साफ-सफाई का ध्यान रखें, नहीं तो एलर्जी या संक्रमण होने का भय रहता है।

जानें कैसे विपरीत लिंग को आकर्षित करती है देह गंध

शरीर की गंध पढ़ने में पसीने की बदबू आने जैसी लगती है पर यहां हम बात कर रहें है शरीर से निकलने वाली प्राकृतिक गंध की जो विपरीत लिंग को आपकी तरफ आकर्षित कर देती है।
QUICK BITES

  • मानव शरीर में होती है अपनी एक प्राक़तिक गंध।
  • पुरूषों मे एंड्रोस्टेडिनॉन रसायन आकर्षित करता है।
  • महिलाओं में इस रसायन का नाम एस्ट्राटेट्रेनॉल है।
  • हालांकि इस शोध पर अभी एक राय नहीं है।

  • क्या आप जानते है कि शरीर की अपनी एक प्राक़तिक गंध होती है। जिसको परफ्यूम या पसीने से नहीं छुपाया जा सकता है। इसी गंध की मदद से एक इंसान, दूसरे इंसान के आसपास होने को भांप लेता है। इस बात की पुष्टि यूनिवर्सिटी ऑफ लंदन के वैज्ञानिकों वे स्वयं की है। उनके अनुसार इंसान सचमुच विपरीत लिंग के सदस्य की मौजूदगी गंध से पहचानते हैं।

    • जवानी में जीवधारियों के शरीर में ऐसे स्नव निकलते हैं जो बाद में बनते ही नहीं हैं। यह शरीर में समाई अतिरिक्त ऊर्जा, उत्साह और कई नई शारीरिक क्रियाओं की देन होती है। मानव के अलावा अन्य जीवों में तो यह गंध विपरीत लिंग को आकर्षित करने के लिए खासतौर से निकलती है।
    • शोध के दौरान उन मांओं को चुना गया जिनका कुछ ही समय पहला प्रसव हुआ हो। उनके सामने नन्हे बच्चों के कुछ कपड़े लाकर रख दिए गए, इससे पहले उन्हें उनके खुद के ही बच्चे के कपड़े की गंध सुंघाई गई। बाद में कई सारे कपड़ों में से उन्हें अपने बच्चे की गंध वाला कपड़ा बिना देखे सूंघकर पहचानना था।
    • इस गंध के नथुने में पहुंचते ही महिलाओं को अजब अनुभूति होती है। कई महिलाओं में रोमांच यहां तक हो गया कि उनके शरीर के रोंगटे खड़े हो गए। कुछ का शरीर ही कंपन में आ गया और उनकी बांहें अपने बच्चे को लेने के लिए मचल उठीं।
    इन फैरोमॉन रसायनों की उपस्थिति साबित हो चुकी है, लेकिन इंसानों में इसकी मौजूदगी पर एक राय नहीं है और अब तक उनकी मौजूदगी वैज्ञानिक रूप से साबित नहीं हो पाई है।

जानें कैसे इलाइची बढ़ा सकती है सेक्स पावर

यौन क्षमता का बेहतर होना दाम्पत्य जीवन का न सिर्फ पूर्ण करता है, बल्कि प्रेम की भावना को और भी मजबूत करता है। क्या आप जानते हैं कि इलाइची भी सेक्स पावर बढ़ा सकती है।

QUICK BITES

  • भारतीय मसाले में कीमती और मसालों की महारानी है इलाइची।
  • इलायची को वाजीकरण नुस्खे की तरह भी इस्तेमाल किया जाता है।
  • असमय स्खलन व नपुंसकता की समस्या को दूर करती है इलाइची।
  • इलाइची के नियमित सेवन से यौन क्षमता में इज़ाफा होता है।


  • यौन क्षमता का बेहतर होना दाम्पत्य जीवन का न सिर्फ पूर्ण करता है, बल्कि प्रेम की भावना को और भी मजबूत करता है। इसे बेहतर करने के लिये सही खानपान व नियमित व्यायाम बेहद जरूरी होता है। लेकिन इसके अलावा भी प्रकृति में भी ऐसी कई चीजें हैं जिनके सेवन ये यौन क्षमता को बढ़ाया जा सकता है। कमाल की बात तो यह कि ये गुणकारी चीजें आराम से मिल सकती हैं और इनका प्रयोग भी आसान होता है। इसमें से एक चीज़ है, इलाइची! चलिये जानें इलाइची कैसे यौन क्षमता बढ़ाने में मददगार होती है। - 

कैसे करती है ये फायदा

    भारतीय मसाले में कीमती और मसालों की महारानी कही जाने वली इलायची के इस्तेमाल से कामेच्छा को बढ़ाया जा सकता है। इलायची का सेवन आमतौर पर सांस और मुंह को साफ रखने के लिए अथवा मसाले के रूप में किया जाता है। यह दो प्रकार की होती है, हरी या छोटी इलायची व बड़ी इलायची। 
    इलायची को वाजीकरण नुस्खे के तौर पर भी इस्तेमाल किया जाता है। इलायची एक ऐसे टॉनिक के रूप में भी काम करती है जिससे कामोत्तेजना में वृद्धी होती है। यह शरीर को ताकत प्रदान करने के साथ-साथ असमय स्खलन व नपुंसकता की समस्या से भी मुक्त कराने में सहायक होती है। इसका सेवन करने के लिये दूध में इलायची डालकर उबालें। ठीक से उबल जाने के बाद इसमे थोड़ा शहद मिलाएं और नियमित रूप से रात को सोते समय इसका सेवन करें। इसके नियमित सेवन से यौन क्षमता में इज़ाफा होता है और दामपत्य जीवन सुखमय बनता है।

    इसका अलावा मुंह में छाले की समस्या को दूर करने के लिये बड़ी इलायची को महीन पीसकर उसमें पिसी हुई मिश्री मिलाकर जीभ पर रखने से छाले दूर होते हैं। लेकिन रात के समय इलायची न खायें, इससे खट्टी उकारें आने की शिकायद हो सकती है। साथ ही महिलाओं को इसका अधिक सेवन नहीं करना चाहिये, क्योंकि इसके अधिक सेवन से महिलाओं में गर्भपात होने की भी संभावना होती है।

चाहकर सेक्‍स करने के बाद भी क्‍यों उदास हो जाती है महिलाएं

सहमति से सेक्‍स करने के बाद भी महिलाओं में उदासी की भावना आ जाती है। आइए इस आर्टिकल के माध्‍यम से जानें ऐसा क्‍यों होता है।

QUICK BITES

  • शारीरिक के साथ मानसिक खुशी मिलती है।
  • महिलाओं में उदासी का भाव आ जाता है।
  • यह एक प्रकार की मनोवैज्ञानिक समस्या है।
  • पार्टनर के साथ वक्त गुजारना भी जरूरी है।

  • सेक्स से शारीरिक के साथ मानसिक खुशी मिलती है। इससे एक आनन्ददायक अनुभूति भी होती है। सेक्स से न सिर्फ रिश्तों में मजबूती आती है बल्कि ये हमारे स्वास्थ्य के लिए भी लाभदायक होता है। लेकिन क्‍या आप जानते हैं कि सहमति से सेक्‍स करने के बाद भी महिलाओं में उदासी की भावना आ जाती है। यह बात हाल में हुए एक शोध से पता चली है।


सेक्‍स के बाद महिलाओं में उदासी

    क्वींसलैंड यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्नोलॉजी द्वारा किए गए एक शोध के अनुसार, सेक्स के दौरान चरमसुख, अत्यधिक आनंद की अनुभूति के साथ उदासी भी एक प्रकार की भावनात्मक अभिव्यक्ति है। शोधकर्ताओं ने पाया कि सहमति से सेक्स के बाद भी बहुत सी महिलाएं उदासी का भाव पैदा हो जाता है जो कि एक प्रकार की मनोवैज्ञानिक समस्या है।

क्‍या कहता है शोध

    230 महिलाओं पर किए गए शोध में पता चला है कि महिलाओं ने सेक्स के बाद तनाव और उदासी महसूस की। कई महिलाएं तो सेक्स के बाद रोती भी हैं। रिपोर्ट के अनुसार 5 प्रतिशत महिलाओं ने ऐसे लक्षणों को बीते चार हफ्तों में महसूस किया जबकि 46 प्रतिशत महिलाओं ने इसे जिंदगी में कम से एक बार महसूस किया।

    शोधकर्ता ने इस सम्बन्ध में और अधिक जानकारी देते हुए बताया है कि एक महिला ने हमें लिखा कि उसकी शादी को 20 साल हो गए हैं और वह सेक्स के बाद अमूमन वॉशरूम में जाकर रोती है। रिपोर्ट कहती है कि यह ज्यादातर महिलाओं के साथ है, किसी के साथ कम तो किसी के साथ थोड़ा ज्यादा।

    ऐसे में सेक्स के बाद अपनी पार्टनर का सही से ध्यान देना चाहिए। जीं हां इंटरकोर्स से पहले फोरप्ले जितना जरूरी है उतना ही इंटरकोर्स के बाद अपनी पार्टनर के साथ वक्त गुजारना भी जरूरी है।

एक्सीडेंटल आर्गेज्म से जुड़े तथ्यों को जानें

आकस्मिक आर्गेज्म कहीं भी, कभी भी हो सकता है। लेकिन यह ध्यान रखें कि यदि आप इस बारे में सोच रही हैं तो फिर वह एक्सीडेंटल यानी आकस्मक नहीं रह जाएगा। है न! खैर आइये इससे जुड़े कुछ तथ्यों पर नजर दौड़ाते हैं।

    QUICK BITES

    • आकस्मिक आर्गेज्म कहीं भी, कभी भी हो सकता है।
    • बाइक या स्कूटी चलाते हुए घर्षण महसूस करती है।
    • महिला सेक्स की सोच से उत्तेजित होने लगती है।
    • दिमाग स्थिर न होने पर भी एक्सीडेंटल आर्गेज्म होता है।

    • आकस्मिक आर्गेज्म बोलते ही आपकी जुबान पर हंसी खिल उठेगी लेकिन इस सच्चाई पर आपको भरोसा नहीं होगा। असल में ज्यादातर महिलाएं मानती हैं कि महिलाओं को आकस्मिक आर्गेज्म नहीं हो सकता है। जबकि तथ्य इसके उलट है। हालांकि यह सही नहीं होगा कि आप आकस्मिक आर्गेज्म का इंतजार कर रही हैं और अचानक ऐसा हो जाए। आकस्मिक आर्गेज्म कहीं भी, कभी भी हो सकता है। लेकिन यह ध्यान रखें कि यदि आप इस बारे में सोच रही हैं तो फिर वह एक्सीडेंटल यानी आकस्मक नहीं रह जाएगा। है न! खैर आइये इससे जुड़े कुछ तथ्यों पर नजर दौड़ाते हैं।



    एक्सीडेंटल आर्गेज्म कैसे होता है

      एक्सीडेंट आर्गेज्म दो तरीकों से हो सकता है। पहला शारीरिक एक्सपोज़र होने से। मतलब यह कि महिलाओं के विशेषांगों में किसी तरह का घर्षण हो। अन्य तरीका है भावनात्मक। यदि महिला शारीरिक सम्बंध या सेक्स के विषय में गहराई से सोचती है तो भी एक्सीडेंटल आर्गेज्म हो सकता है।

    क्या सभी महिलाओं को एक्सीडेंटल आर्गेज्म होता है

      प्रत्येक महिला में चरमानंद स्थिति में पहुंचने के लिए अलग अलग रास्ते होते हैं। कोई शारीरिक, कोई मानसिक तो कोई भावनात्मक राह से होकर चरमानंद तक पहुचंती है। अतः ऐसा कहना कि सभी महिला एक्सीडेंटल आर्गेज्म तक पहुंचती हैं, थोड़ा मुश्किल होगा। असल में यह प्रत्येक महिला की अपनी अपनी सोच है। संभवतः सभी महिलाएं ऐसी स्थिति से गुजर सकती हैं बशर्ते उनका सेक्स के प्रति चाह उग्र हो।

    एक्सीडेंटल आर्गेज्म की वजहें:

      विशेषांग के अकस्मात घर्षण से - यदि महिला विशेष ने कोई ऐसी पोषाक पहन रखी है जिसके पहन चलने से शरीर के गुप्तांग में घर्षण हो या फिर महिला बाइक या स्कूटी चलाते हुए घर्षण महसूस करती है तो एक्सीडेंटल आर्गेज्म हो सकता है।

      तेज चलने से - महिला विशेष यदि किसी भी तरह से सेक्स से जुड़ाव महसूस करती है और ऐसी मानसिक स्थिति में वह तेज चलती है तो भी एक्सीडेंटल आर्गेज्म हो सकता है। लेकिन ध्यान रखें कि ऐसा बहुत कम यानी कभी कभार ही होता है।

      सपनों में - महिलाएं कई बार सेक्स सम्बंधी सपने देखते हुए भी काफी उन्माद से भर जाती हैं। अतः महिला ने यदि कोई सेक्स सम्बंधी सपना देखा हो तो चरमानंद तक पहुंच सकती है। हालांकि महिलाओं में पुरुषों की तुलना में ऐसा कम होता है।

      खुले मन की हों - यदि आप किसी वस्तु विशेष की ओर ध्यान केंद्रित रखती हैं तो भी एक्सीडेंटल आर्गेज्म होने की संभावना बन सकती है। विशेषज्ञों के मुताबिक यदि आप ध्यान मग्न हैं यानी मेडिटेशन कर रही हैं, उस समय सेक्स सम्बंधी विचार आपके जहन में कौंधे तो भी एक्सीडेंटल आर्गेज्म हो सकता है।

      सोचने से - यदि कोई महिला ये कहे कि वे सेक्स के बारे में नहीं सेाचती तो यह सरासर झूठ है। असल में दुनिया में शायद ही कोई ऐसी महिला या कोई ऐसा पुरुष हो जो इस विषय से कटना पसंद करता हो। असल में सेक्स सम्बंधी सोच जब हावी हो यानी जब महिला सेक्स की सोच से उत्तेजित होने लगती है तो एक्सीडेंटल आर्गेज्म होने की संभावना बढ़ जाती है।

      जब दिमाग स्थिर न हो - हो सकता है कि इस तथ्य को जानकर आप हैरान हो जाएं। लेकिन यह सच है कि जब दिमाग स्थिर नहीं होता तब भी एक्सीडेंटल आर्गेज्म हो सकता है। कुछ रिपोर्ट तो यहां तक कहते हैं कि समस्या जितनी बड़ी होती है, सेक्स की चाह उतनी ज्याद हो जाती है। कई बार तो ऐसी स्थिति में सार्वजनिक जगहों में भी एक्सीडेंटल आर्गेज्म हो जाता है।