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Sunday 4 December 2016

क्या पीरियड्स में सेक्स करना सेफ है?क्या पीरियड्स में सेक्स करना सेफ है?

    कई लोगो के मन में यह सवाल उठता है कि क्या पीरियड्स के दौरान सेक्स करना सेफ है? या इसके कुछ साइड इफेक्ट्स भी हो सकते है. यदि आप भी इस सवाल का जवाब ढूंढ रहे है तो आगे पढ़ते जाइए.  पीरियड्स के दौरान सेक्स करने से बचना चाहिए. माहवारी के समय गर्भाशय और उसका मुंह काफी संवेदनशील होता है तथा ऎसी अवस्था में सेक्स करने से पुरूष का यौन अंग महिला के गर्भाशय के मुंह पर आघात करता है जिससे गर्भाशय के मुंह पर जख्म हो सकता है.  इस घाव को "सर्वाइकल इरोजन" कहते हैं. इससे इंफेक्शन हो सकता है. इंफेक्शन होने पर इलाज न करने की स्थिति में कैंसर तक होने की संभावना हो सकती है, लेकिन यदि दोनों पार्टनर सहमत हों और हाइजीन का खयाल रखते हुए सावधानी बरती जाए तो पीरियड्स के दौरान भी सेक्स किया जा सकता है.

    जब कभी भी घर में कोई बीमार पड़ता है या किसी को चोट लगती है या फिर हमे दवाई लाने का काम पड़ता है तो बहुत साड़ी चीजों का ध्यान रखना पड़ता है. क्योंकि एक छोटी सी लापरवाही भी कभी कभी अधिक नुकसान कर जाती है. तो आइए जाने आपको अपने घर में और बाहर कौन कौन सी चिकित्सकीय सावधानियां बरतनी चाहिए.  - घावों की ड्रेसिंग में सावधानी बरतें और उपयुक्त आकार की पट्टियों का इस्तेमाल करें. - दवा खरीदते समय एक्सपायरी की तारीख जरूर देखें. - अनावश्यक दवाओं को सुरक्षित ढंग से फेंकें. - डॉक्टर की परची के बिना दवा न लें. - मरीज के बिस्तर की चादर और तखियों की खोल रोजाना बदले.  - घर में डेटॉल और फिनाइल का पोछा मारे.

    भोजन को प्रदूषण से बचाने, जहरीले भोजन से बचने और बीमारी को फैलने से रोकने के लिए रसोई में स्वच्छता का ध्यान रखना जरूरी हो जाता है. आइये जाने आप अपने किचन को साफ़ सुथरा कैसे रख सकते है.  - रसोई बनाने की जगह और बरतन को साफ रखें. - बासी या प्रदूषित भोजन न करें. - खाना पकाने और परोसने से पहले हाथ धोयें. - उपयोग करने से पहले खाद्य सामग्री, सब्जी आदि को अच्छी तरह से धोयें. - खाद्य सामग्री को अच्छी तरह रखें. - खाद्य सामग्री खरीदते समय पैकेट पर लगे लेबेल को जरूर देखें, ताकि उपयोग करने की अवधि की जानकारी मिल सके.  - रसोई की बेकार चीजों को अच्छी तरह से फेकें.

    जब साफ़ सफाई की बात आती है तो अधिकतर लोग अपने चेहरे और बालों की सफाई की और ही ध्यान देते है. लेकिन आपको बता दे कि चेहरे को घंटो तक चमकाने के अलावा और भी कई जगहों की साफ़ सफाई जरूरी है. जैसे अपने जनजांगों की साफ़ सफाई. आइए जाने आपको किन किन चीजों का ख्याल रखना होगा.  - माहवारी के दौरान महिलाएं साफ और मुलायम कपड़े या सैनिटरी नैपकिन का प्रयोग करें. हर दिन कम से कम दो बार नैपकिन जरूर बदलें. - जिन महिलाओं को दुर्गंध युक्त सफेद द्रव निकलता हो, उन्हें तत्काल डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए.  - मल या मूत्र त्याग के बाद अंगों को साफ पानी से धोयें.  - यदि आपको जननांग में किसी प्रकार का संक्रमण दिखे, तो तत्काल डॉक्टर से संपर्क करें.  - सुरक्षित सेक्स के लिए कंडोम का इस्तेमाल करें.  - यौन गतिविधि से पहले और बाद में जननांगों को साफ करें.

    गर्भ को रोकने का सबसे आम तरीका है, संभोग न किया जाए. इस पद्धति में लिंग को योनी से उस समय संपर्क में न लाया जाए जब स्त्री उर्वरक चक्र में हो (लय पद्धति, उर्वरक जागरुकता पद्धति). इसके अलावा सबसे आसान तरीका है वीर्य को अंडे से न मिलने दिया जाए. इसके कई तरीके हो सकते हैं जैसे पुरुष और स्त्री के कंडोम, डायाफ्राम और सर्वाइकल कैप. इसकी स्थायी पद्धति है नस बंदी (पुरुष बंध्याकरण) और टुबुल लिगेशन (स्त्री बंध्याकरण). अगला तरीका है कि स्त्री को अंडे जनने न दिया जाए या पुरुष को वीर्य उत्पन्न करने न दिया जाए. इसके उदाहरण हैं- हारमोनल पद्धति जैसे- खाने वाली गर्भ निरोधक गोलियां, त्वचा के नीचे गोलियाँ रखना या प्रतिरोपण. इस कोटि में गैर उर्वरक इंजेक्शन भी आते हैं जिसे पुरुष और महिला दोनों के लिए तैयार किये जा रहे हैं. इसका एक और तरीका है कि उर्वरक अंडों (जाइगाट) को गर्भाशय के संस्तरों से जुड़ने न दिया जाए. इसका एक उदाहरण है- इंट्रा-यूट्रीन डीवाइज (आई यू डी) और बिना स्टेरायड वाली गोलियां.  अंत में कुछ काम ना आये तो करे. भ्रूण को गर्भधारण और प्रतिरोपण के बाद निकाल देना. इसके उदाहरण हैं गर्भपात करना या गर्भपात की गोलियां खाना.

    बांझपन, प्रजनन प्रणाली की एक बीमारी है जिसके कारण किसी महिला के गर्भधारण में विकृति आ जाती है. गर्भधारण एक जटिल प्रक्रिया है जो कई बातों पर निर्भर करती है- पुरुष द्वारा स्वस्थ शुक्राणु तथा महिला द्वारा स्वस्थ अंडों का उत्पादन, अबाधित गर्भ नलिकाएं ताकि शुक्राणु बिना किसी रुकावट के अंडों तक पहुंच सके, मिलने के बाद अंडों को निषेचित करने की शुक्राणु की क्षमता, निषेचित अंडे की महिला के गर्भाशय में स्थापित होने की क्षमता तथा गर्भाशय की स्थिति.  अंत में गर्भ के पूरी अवधि तक जारी रखने के लिए गर्भाशय का स्वस्थ होना और भ्रूण के विकास के लिए महिला के हारमोन का अनुकूल होना जरूरी है. इनमें से किसी एक में विकृति आने का परिणाम बांझपन हो सकता है. बांझपन का कारण:  पुरुषों में प्रजनन क्षमता में कमी का सबसे सामान्य कारण शुक्राणु का कम या नहीं होना है. कभी-कभी शुक्राणु का गड़बड़ होना या अंडों तक पहुंचने से पहले ही उसका मर जाना भी एक कारण होता है. महिलाओं में बांझपन का सबसे सामान्य कारण मासिक-चक्र में गड़बड़ी है. इसके अलावा गर्भ-नलिकाओं का बंद होना, गर्भाशय में विकृति या जननांग में गड़बड़ी के कारण भी अक्सर गर्भपात हो सकता है.

    गर्भपात का सबसे सामान्य कारण है कि निषेचित अंडे के साथ कुछ गड़बड़ी होती है. इसके बावजूद यदि अंडा बढ़ता और विकसित होता है, तो उसके परिणामस्वरूप पैदा होने वाला शिशु शारीरिक रूप से विकलांग होता है.  इसलिए कभी-कभी गर्भपात ऐसे असामान्य जन्म को रोकने का प्रकृति का उपाय है. यदि महिला को मलेरिया या सिफलिस जैसी गंभीर बीमारी हो, वह गिर गयी हो या उसके जननांगों में समस्या हो, तो भी गर्भपात हो सकता है.  कभी-कभी अंडा गर्भाशय के बदले कहीं अन्यत्र, सामान्यतया गर्भ-नलिकाओं में निषेचित होने से भी गर्भपात होता है. ऐसे गर्भ निश्चित रूप से गिर जाते हैं और तब स्थिति खतरनाक हो सकती है. गर्भपात के दो मुख्य लक्षण होते हैं. योनि से रक्तस्राव और पेट के निचले हिस्से में दर्द. शुरुआत में रक्तस्राव बहुत कम होता है, लेकिन बाद में यह तेज हो जाता है और जल्दी ही खून के थक्के दिखाई देने लगते हैं. रक्तस्राव और दर्द, विशेषकर आरंभिक गर्भपात के दौरान आमतौर पर वैसे ही होते हैं, जैसा कि मासिक-धर्म के दौरान होता है.

    यह स्पष्ट नहीं है कि गर्भावस्था में कैफीन का सेवन करने से भ्रूण को कोई हानि पहुंचती है. सबूत के अनुसार ऐसा लगता है कि गर्भावस्था में थोड़ी मात्रा, (रोजाना एक कप काफी) में कैफीन के सेवन से भ्रूण को कोई खतरा नहीं होता. काफी, चाय, कुछ तरह के सोडा, चाकलेट और कुछ दवाईयों में मौजूद कैफीन एक उत्तेजक है जो अपरा को पार करके भ्रूण के पास आसानी से पहुंच जाता है. इस तरह यह भ्रूण को उत्तेजित करके उसकी हृदय दर को बढ़ा सकता है. कैफीन अपरा में से रक्त प्रवाह को भी कम कर सकता है और लौह का अवशोषण घटाता है.  कुछ प्रमाणों के अनुसार एक दिन में सात कप से अधिक काफी पीने से मृतशिशु जन्म, समयपूर्व जन्म, कम वजन वाले शिशु या गर्भपात होने का खतरा बढ़ सकता है. कुछ विशेषज्ञ यदि संभव हो तो काफी का सेवन कम करने और कैफीन-रहित पेयों का सेवन करने की सलाह देते हैं.

    गर्भवती महिला द्वारा ली गई दवाइयां भ्रूण तक मुख्यतया अपरा को पार करके उसी मार्ग से पहुंचती हैं, जिससे ऑक्सीजन और पोषक पदार्थों पहुंचते है और ये भ्रूण के विकास और वृद्धि के लिये जरूरी होती है. गर्भवती महिला द्वारा गर्भावस्था में ली गई दवाइयां भ्रूण पर कई प्रकार से असर डाल सकती हैं. - वे भ्रूण पर सीधा असर कर सकती हैं, जिससे नुकसान, असामान्य विकास (जिससे जन्मजात विकार हो जाते हैं) या मृत्यु हो सकती है.  - वे सामान्य तौर पर रक्त वाहिनियों को संकरा करती हैं और इस प्रकार से माता से भ्रूण को आक्सीजन और पोषक पदार्थों की आपूर्ति कम करके अपरा के कार्य को बाधित कर सकती हैं. कभी-कभी इसके परिणामस्वरूप शिशु कमवजन वाला और कम विकसित रह जाता है. - उनके कारण गर्भाशय की पेशियों का बलपूर्वक संकुचन हो सकता है, जिससे रक्त प्रवाह में कमी हो जाने से भ्रूण को क्षति हो सकती है या समयपूर्व प्रसव क्रिया और संतान-जन्म हो सकता है.

    फलों की रानी कही जाने वाली लीची गर्मियों की जान है. लीची का नाम आते ही मुंह में मिठास और रस घुल जाता है. यह देखने में जितनी सुंदर है, खाने में उतनी ही स्वादिष्ट, इसीलिए यह सभी का पसंदीदा फल है. यह रसीला फल गर्मियों में शरीर में पानी के अनुपात को संतुलित बनाए रखता है और ठंडक पहुंचाता है. आइए जाने इसके और क्या क्या फायदे है.  1. लीची हमारी सेहत के साथ ही फिगर का भी ध्यान रखती है। इसमें घुलनशील फाइबर बड़ी मात्रा में मिलता है, जो मोटापा कम करने का अच्छा विकल्प है. 2. लीची में पाए जाने वाले कैल्शियम, फॉसफोरस और मैग्नीशियम तत्व बच्चों के शारीरिक गठन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. 3. लीची तंत्रिका तंत्र की नसों और जननांगों की सूजन के इलाज में फायदेमंद है. इससे दर्द से राहत मिलती है. 4. लीची का रस एक पौष्टिक तरल है. यह गर्मी के मौसम से संबंधित समस्याओं को दूर करता है और शरीर को ठंडक पहुंचाता है. लीची हमारे शरीर में संतुलित अनुपात में पानी की आपूर्ति करती है और निर्जलीकरण से बचाती है. 5. लीची में सूरज की अल्ट्रावॉयलेट यूवी किरणों से त्वचा और शरीर का बचाव करने की खासियत होती है. इसके नियमित सेवन से ऑयली स्किन को पोषण मिलता है. साथ ही मुंहासों के विकास को कम करने में मदद मिलती है.

    आजकल मच्छर हर जगह है. चाहे मकान कच्चा हो या फिर पक्का. चाहे आप हाई सोसाइटी में रहते हो या लो सोसाइटी में रहते हो. मच्छर जहाँ वहां से निकल कर आपको काटने आ जाते है. इन मच्छरों को दूर भगाने के लिए लोग अक्सर घर में क्वाइल लगाते है. लेकिन क्या आप जानते हो इन साधारण सी दिखने वाली ककऐल आप और आके बच्चों के लिए हानिकारक हो सकती है. यदि विशेषज्ञों की माने तो मच्छर भगाने वाली क्वाइल 100 सिग्रेट के बराबर नुकसान करता है. इसलिए आज हम आपको मच्छर भगाने का सबसे सस्ता, टिकाउ, आसान और देसी तरिका बताएँगे. आवश्यक सामग्री: एक लैम्प (लालटेन), नीम का तेल, कपूर, मिटटी का तेल, नारियल का तेल. विधि:  1. नीम: केरोसीन लैम्प: एक छोटी लैम्प में मिटटी के तेल में 30 बुँदे नीम के तेल की डालें, दो टिक्की कपूर को 20 ग्राम नारियल का तेल में पीस इसमें घोल लो इसे जलाने पर मच्छर भाग जाते है और जब तक वो लैम्प जलती रहती है मच्छर नहीं आते है वहाँ पर.  2. दिया:  नारियल तेल में नीम के तेल को डाल कर उसका दिया जलाये इससे भी मच्छर नही आयेंगे.

    त्रिफला का उपयोग करने से कई तरह के रोग छूमंतर हो जाते है. यदि आप इसे अपने रोजाना के आहार के साथ शामिल कर ले तो बीमारियां आप से कोसो दूर रहेगी. आइए जाने इस से और कौन कौन से फायदे होते है. मुंह की दुर्गंध: कुछ लोगो के मुंह से बहुत दुर्गंध आती है, जिससे कई बार उन्हें लोगो के बिच शर्मिंदा होना पढ़ता है. मुंह की दुर्गंध को दूर करने के लिए त्रिफला को रात भर पानी में भिगोकर रखें. फिर सुबह मंजन करने के बाद इस पानी मुंह में भरकर रखें. कुछ देर बाद निकाल दें. इससे आपके दांत और मसूड़े वृद्धावस्था तक मजबूत रहते हैं. मुंह के छाले दूर करने में भी यह मददगार है. वजन कम करे: जो लोग अपने बढ़ते वजन को लेकर परेशान है उनके लिए भी त्रिफला बहुत फायदेमंद है. त्रिफला के गुनगुने काढ़े में शहद मिलाकर पीने से मोटापा घटता है. त्रिफला के काढ़े से यदि घाव धोया जाये तो एलोपैथिक - एंटिसेप्टिक की आवश्यकता भी नहीं रहती है और घाव जल्दी भर जाता है. प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाये: कुछ लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है जिसके कारण वह बार-बार बीमार पड़ते है. लेकिन त्रिफला का सेवन किया जाये तो शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है और शरीर को बीमारियों से लड़ने की ताकत मिलती है. दरहसल त्रिफला शरीर में एंटीबॉडी के उत्पादन को बढ़ावा देता है जो शरीर में एंटीजन के खिलाफ लड़ने में सहायक है और बॉडी को बैक्टेरिया मुक्त रखते है.

    कोई भी स्त्री या पुरुष जब दूसरे लिंग के प्रति आर्कषण महसूस करने लगता है तो उसी समय से सेक्स उनके लिए एक बहुत ही खास विषय बन जाता है. उनके मन में सेक्स के बारे में जानने की उत्सुकता बढ़ जाती है और शादी से पहले यह लोग सेक्स करने से भी पीछे नहीं हटते. सेक्स करने में जितना आनंद मिलता है उतनी ही उसके प्रति संवेदनशीलता बनी रहती है. इसी वजह से चाहे स्त्री हो या पुरुष दोनों में ही सेक्स के प्रति हमेशा एक भूख सी रहती है वह ज्यादा से ज्यादा सेक्स का मजा लेना चाहता है. ऐसे बहुत से लोग हैं जो सेक्स का मजा लेना चाहते हैं लेकिन सेक्स करते समय वह कुछ ही देर में ठंडे हो जाते हैं. ऐसे मामलों में उनके मन में यह बात घर कर जाती है कि उन्हें शीघ्रपतन का रोग है. ऐसे लोग वैसे तो पूरी तरह से स्वस्थ होते हैं लेकिन दिमागी रूप से बीमार हो जाते हैं. संभोग करते समय किसी भी तरह की जल्दी करना या हड़बड़ाहट मचाना जल्दी वीर्यपात का कारण बनता है. किसी भी पति और पत्नी के बीच सेक्स संबंध सिर्फ खानापूर्ति के लिए या किसी भी काम को जल्दी से निपटाने के मकसद से नहीं होने चाहिए. ऐसे बहुत से व्यक्ति होते हैं जो संभोग करते समय तुरंत ही पूरे जोश में आ जाते हैं. उनकी उत्तेजना समय से पहले ही चरम सीमा तक पंहुच जाती है और जल्दी ही उनका वीर्यपात हो जाता है. कुछ समय में ही पुरुषों की ऐसी आदत से उनकी पत्नियां भी परेशान रहने लगती हैं क्योंकि उनको भी अपने पति की आदत से सेक्स में पूरी तरह से संतुष्टि नहीं मिल पाती है. इसलिए पुरुषों को संभोग करते समय किसी तरह की जल्दबाजी न करके धैर्यपूर्वक इस क्रिया को करनी चाहिए. इससे न सिर्फ पुरुष इस क्रिया को लंबा और संतुष्टि के साथ कर सकता है बल्कि स्त्री को पूरी तरह से यौन संतुष्टि मिलती है.

    यदि आप घुटने के दर्द से परेशान है तो इसका इलाज आपके किचन में ही छुपा है. भारतीय रसोई की शान हल्दी सचमुच गुणों की खान है. इसका उपयोग घुटनो के दर्द में कुछ इस तरह करे. आधा किलो हल्दी की गांठे और एक किलो कली का चूना (पान में खाने वाला) लीजिए. चूना डली के रूप में हो पावडर नहीं. दोनों को एक मटकी में भर कर उसमें करीब दो लीटर पानी भर दीजिए. पानी डालते ही चूना उबलने लगेगा. अब मटकी का मुंह अच्छी तरह बंद कर रख दीजिए. दो माह बाद इसे खोलें और हल्दी की गांठों को कपड़े से अच्छी तरह पोंछ लें. फिर इन्हें थोड़ा कूट कर मिक्सर में बारीक पीस लें. चमत्कारी हल्दी का पावडर तैयार है. अब इसे किसी एयर टाइट डिब्बे में भर कर रख लीजिए. रोज सुबह खाली पेट तीन ग्राम पावडर (चने बराबर) शहद के साथ चाटिए. करीब एक घंटे तक कुछ खाएं पीए नहीं. कम से कम चार महीने तक सेवन करें. घुटनो के दर्द में आराम लगेगा.

    यदि आप रोज सादा दूध पीते है तो आज से ही उसमे हल्दी मिलाना चालू कर दिजिये. हल्दी कई रोगों का नाश करती है और दूध में भी कई पोष्टिक तत्व होते है और जब इन दोनों को मिला दिया जाता है तो फायदे ही फायदे होते है. आइए जाने इन फायदे के बारे में...   खांसी में राहत: खांसी में कफ की समस्या होने पर एक गिलास गर्म दूध में एक-चौथाई चम्मच हल्दी मिलाकर पीना फायदेमंद है. पुरानी खांसी या अस्थमा के लिए आधा चम्मच शहद में एक-चौथाई चम्मच हल्दी अच्छी तरह मिलाकर चाटने से आराम मिलता है. चोट और सूजन के इलाज में सहायक: एक गिलास गर्म दूध में एक टी-स्पून हल्दी मिलाकर पीने से चोट के दर्द और सूजन में राहत मिलती है. चोट पर हल्दी और पानी का लेप लगाने से आराम मिलता है. आधा लीटर गर्म पानी, आधा चम्मच सेंधा नमक और एक चम्मच हल्दी डाल कर अच्छी तरह मिलाएं. इस पानी में एक कपड़ा डाल कर निचोड़ लें और चोट वाली जगह पर इससे सिंकाई करें. टाइप 2 के मधुमेह रोगियों के लिए फायदेमंद: हल्दी में मौजूद कुरकूमिन ब्लड शुगर को कम करता है और ग्लूकोज के चयाचपय को बढ़ाकर मधुमेह को नियंत्रित रखता है. दिन में भोजन के साथ आधा-आधा चम्मच हल्दी पाउडर के सेवन से आराम मिलता है.

    यदि आपकी पत्नी अपनी सेक्स लाइफ से संसुष्ट नहीं है और इसका कारण आपकी यौन कमजोरी है तो फिक्र मत कीजिए. आज हम आपको तीन ऐसे नायाब और कारगर नुस्खे बताएँगे जिसका प्रयोग कर आपकी पत्नी बिस्तर पर सदा खुश रहेगी. 1. लगभग 10-10 ग्राम सफेद प्याज का रस और शहद, 2 अंडे की जर्दी और 25 मिलीलीटर शराब को एक साथ मिलाकर रोजाना शाम के समय लेने से संभोगशक्ति बढ़ जाती है. 2. लगभग 5 बादाम की गिरी, 7 कालीमिर्च और 2 ग्राम पिसी हुई सोंठ तथा जरूरत के अनुसार मिश्री को एक साथ मिलाकर पीस लें और फंकी लें। इसके ऊपर से दूध पी लें. इस क्रिया को कुछ दिनों तक नियमित रूप से करने से संभोगक्रिया के समय जल्दी वीर्य निकलने की समस्या दूर हो जाती है. 3. उड़द की दाल को पानी में पीसकर पिट्ठी बनाकर कढ़ाई में लाल होने तक भून लें. इसके बाद गर्म दूध में इस पिसी हुई दाल को डालकर खीर बना लें. अब इसमें मिश्री मिलाकर किसी कांसे या चांदी की थाली में परोसकर सेवन करने से संभोग करने की शक्ति बढ़ जाती है. इस खीर को लगभग 40 दिनों तक प्रयोग करने से लाभ होता है.

    संभोगक्रिया के समय बहुत से पुरुष अपनी बीवियों को सेक्स के अलग-अलग आसनों को प्रयोग करने की प्रयोगशाला बना देते हैं. पुरुष अक्सर किताबों या फिल्मों में सेक्स करने के अलग-अलग तरीकों को देखकर अपनी पत्नी के साथ भी उसी तरह सेक्स करने के लिए जोर डालते हैं. लेकिन सेक्स करने के यह तरीके या आसन जो दिखाए जाते हैं उनको करना लगभग नामुनकिन होता है. इन अलग-अलग आसनों को करते समय या संबंध बनाते समय पुरुष इस कदर उत्तेजित हो जाते हैं कि उसके लिए संबंध बनाए रखना मुश्किल हो जाता है जिसकी वजह से वे शीघ्र स्खलित हो जाते हैं. पत्नी को भी ऐसा महसूस होता है कि उसका पति तो उसे किसी खिलौने की तरह प्रयोग कर रहा है जिसके कारण वह शारीरिक और दिमागी रूप से पीड़ित रहने लगती है. वैसे भी सेक्स संबंधों का जितना आनंद सामान्य आसन से मिलता है उतना अलग-अलग आसनों का प्रयोग करने से नहीं मिलता. बहुत से विद्वानों का कहना है कि जो व्यक्ति सामान्य आसनों का प्रयोग करके सेक्स संबंधों का आनंद उठा रहा है उन्हें भूलकर भी अलग-अलग आसनों का प्रयोग नहीं करना चाहिए. इसके लिए सबसे अच्छा आसन है कि संभोगक्रिया के समय पत्नी को नीचे और पति को उसके ऊपर लेटना चाहिए. इस आसन को करते समय पुरुष का लिंग बहुत ही आसानी के स्त्री की योनि में प्रवेश कर जाता है और पुरुष संभोग के समय स्त्री के चेहरे के भावों को पढ़ सकता है. विराम के समय स्त्री के शरीर पर निश्चल लेटने से एक अनोखा सुख प्राप्त होता है. इसके बाद सिर्फ विपरीत रति वाले आसन को ही अच्छा माना गया है. इस आसन में पति नीचे लेटता है और पत्नी उसके ऊपर लेटती है. इसमें शरीर संचालन स्त्री और पुरुष दोनों मिलकर कर सकते हैं. इस आसन में भी सारी स्थितियां पहले आसन के ही जैसी होती हैं लेकिन विराम के समय आराम का सुख स्त्री को ही मिलता है. इन दोनों आसनों की खासियत यह है कि इसमें जब तक संभोगक्रिया चलती है तब तक बिना किसी परेशानी के चलती है. दूसरे किसी आसन में यह सुविधा नजर नहीं आती है. बाकी सारे आसनों में जो कमी नजर आती है वह यह है कि उनमें संभोग और विराम काल में स्त्री-पुरुष एक-दूसरे के सीने से लगकर आनंद नहीं उठा पाते. दूसरे आसनों में लिंग योनि में इतनी आसानी से प्रवेश नहीं कर पाता जितनी आसानी से पहले वाले आसन में हो जाता है. कई बार लिंग को योनि में प्रवेश कराने से पुरुष की उत्तेजना इतनी बढ़ जाती है कि योनि में प्रवेश के साथ ही पुरुष का वीर्य निकल जाता है. इसके लिए सबसे अच्छा उपाय यह है कि जो व्यक्ति शीघ्रपतन रोग से ग्रस्त होता है उन्हें पहले वाले आसन में ही संभोग करना चाहिए.

     आइये आज हम आपको बता दे की बासी खाना खाने से हमें किन-किन परेशानीयों का सामना करना पड़ता है. 1. लगातार बासी खाना खाने से फूड प्‍वाइज़न होने का खतरा बना रहता है. फ्रिज में रखा खाने में बैक्टेरिया की सम्भावना न के बराबर होती है लेकिन बाहर रखने पर बैक्‍टीरिया होने के चान्सेस काफी बढ़ जाता हैं. जिससे फूड प्‍वाइज़निंग हो सकती है. 2. बासी खाने में बैक्‍टीरिया होता है जिसे खाने से पेट की कई समस्या पैदा हो सकती है साथ ही पाचन क्रिया में परेशानी आती है इसलिए बासी खाने से दूर ही रहे.  3. बासी खाना खाने की आदत को बंद कर दें. इससे एसिडिटी की भी समस्या हो सकती है.  4. 1-2 दिन पुराना खाना बिल्कुल नहीं खाना चाहिए इससे उल्‍टियां या पेट से सम्बंधित कई समस्या पैदा हो सकती है इसलिए ताजा खाना ही खाए. 5. क्या आप जानते है डायरिया की समस्या इसी कारणों से होती है, इसलिये ताजा खाना खाने की आदत डाले.  6. पेट में दर्द, पेट में गैस और एसिडिटी इसी कारणों से होता है इसलिए फ्रिज का या बहार रखा खाना ना खाएं.

    लौंग में प्रोटीन, आयरन, कार्बोहायड्रेट, कैल्शियम, फास्फोरस, सोडियम, हाइड्रोकोलिक एसिड, मैग्नीशियम, फाइबर, विटामिन A और C पाया जाता है. लौंग में वोलेटाइल आयल पाए जाते हैं जिनका हिस्सा eugenol नामक कॉम्पोनेन्ट होता है जो एंटीइन्फ्लेमेटरी और दर्द में आराम देने वाला होता है. Eugenol के कारण लौंग में अरोमा होता है. लौंग में Flavonoids पाए जाते हैं जो एंटीइन्फ्लेमेटरीऔर एंटीऑक्सीडेंट होता है. लौंग का तेल दांत के दर्द में लगाने से आराम मिलता है. दांत के इन्फेक्शन को दूर भगाने में लौंग बहुत सहायक है. इसमें पाया जाने वाला Eugenol ब्लड शुगर लेवल सुधारता है. सुबह नियमित रूप से खाली पेट लौंग का पाउडर पानी के साथ लेना फायदेमंद होता है. लौंग का पाउडर सुबह खाली पेट पानी के साथ लेने से कोलेस्ट्रोल लेवल में सुधार होता है. पेट में कीड़े होने पर लौंग को पानी में उबाल कर पीने से कीड़े समाप्त हो जाते हैं. मुँह की दुर्गन्ध दूर करने के लिए लौंग के उबले पानी से गार्गल करना अच्छा रहता है. लौंग को खाना खाने के बाद खाना चाहिए जिससे पाचन क्रिया सुचारू रूप से होती है. लौंग खाने से एसिडिटी न हो इसके लिए लौंग खाने के एक घंटे तक कुछ खाना नहीं चाहिए. केवल पानी पीना चाहिए.