Friday, 25 November 2016

सुबह पेट ठीक से साफ़ न हो तो अपनाएं ये तरीके

सुबह पेट ठीक से साफ़ न हो तो अपनाएं ये तरीके


पेट खुश तो आप भी खुश
एक साधे, सब सधे। यह बात हमारे पाचन तंत्र पर भी पूरी तरह लागू होती है। कमजोर पाचन तंत्र के कारण न सिर्फ भोजन पचने में परेशानी आती है, बल्कि शरीर का प्रतिरोध सिस्टम भी गड़बड़ा जाता है। शरीर में विषैले तत्वों की मात्रा बढ़ने से शरीर कई अनियमितताओं का शिकार होने लगता है। पाचन तंत्र की विभिन्न गड़बड़ियों और उनसे दूर रहने के उपाय लिखते हैं-
एलोवेरा :
आप जैसे ही सुबह उठें, वैसे ही एक गिलास पानी में थोड़ा सा एलोवेरा का जैल मिक्स कर लें। इसे पीने से आपका पेट बिल्‍कुल ठीक रहेगा।
मुनक्का : मुनक्के में काफी सारा फाइबर और एंटीऑक्‍सीडेंट होता है। इसे जरुर खाएं जिससे पेट साफ रहे।
अलसी-
इनमें भी फाइबर की मात्रा अधिक होती है। इसलिए यह कब्ज जैसी बीमारी से राहत देता है। अच्छे रिज़ल्ट के लिए अलसी के बीज को आप सुबह कॉर्नफ्लेक्स के साथ मिलाकर खा सकते हैं या फिर मुट्ठी भर अलसी के बीज को गर्म पानी के साथ सुबह खा सकते हैं। फाइबर आपकी डाइट में ज़रूर होना चाहिए। इससे आप कब्ज जैसी परेशानी से दूर रहेंगे। अलसी के बीज कब्ज के साथ-साथ डायबिटीज़, हृदय रोग, मोटापे और कैंसर के खतरे को कम करता है।
दही :
दही आपके पेट को अच्‍छा बनाए रखने में मदद कर सकता है। दही को रात में खाएं जिससे सुबह पेट अच्‍छे से साफ हो जाए।
त्रिफला पाउडर
त्रिफला पाउडर आवंला, हरीताकी और विभीताकी औषधियों के चूर्ण से बनता है। इससे पाचन क्रिया संतुलित रहती है और कब्ज जैसी दिक्कतों से राहत मिलती है। आप एक छोटे चम्मच त्रिफला पाउडर को गुनगुने पानी के साथ खा सकते हैं या शहद के साथ पाउडर मिक्स करके खा सकते हैं। इस मिक्सचर को रात में सोने से पहले या सुबह खाली पेट खाने से कब्ज में तुरंत राहत मिलती है। यह पूरी तरह से औषधियों से बना है, इसलिए यह एंटी-बायोटिक दवाइयों से कहीं बेहतर है।


कॉफी कम पियें :
कैफीन के अधिक सेवन से पेट की समस्‍या पैदा होती है, जिससे पेट सुबह अच्‍छे से साफ नहीं होता।
किशमिश

किशमिश फाइबर से भरपूर होती है और नेचुरल जुलाब की तरह काम करती है। मुट्ठी भर किशमिश को रात भर पानी में भिगोकर रख दें और सुबह इसे खाली पेट खाएं। गर्भवती महिलाओं को होने वाली कब्ज के लिए यह बिना किसी साइड इफेक्ट की दवा है। किशमिश एनर्जी बूस्टर की तरह होती है, इसलिए यह किसी भी प्रकार के एनर्जी ड्रिंक्स से बेहतर होती है।
तनाव से रहें दूर -:
बहुत ज्‍यादा तनाव लेने से भी पेट -की समस्या पैदा होती है। अगर पेट साफ ना हो तो तनाव से दूरी बना लें।
अमरूद
अमरूद के गूदे और बीज में फाइबर की उचित मात्रा होती है। इसके सेवन से खाना जल्दी पच जाता है और एसिडिटी से राहत मिलती है। साथ ही, पेट भी साफ हो जाता है। अमरूद पेट के साथ-साथ शरीर के इम्यून सिस्टम को भी मजबूत करता है, जिससे रोगों से लड़ने की क्षमता बढ़ती है।
सेब :
आपको सेब नियमित रूप से खाना चाहिये क्युकी इसमें एक प्रकार का तत्त्व पाया जाता है जो कि आपके पेट को सुबह अच्छे से साफ कर देगा।
अंजीर
अंजीर पका हो या सूखा, जुलाब की तरह काम करता है, क्योंकि इसमें फाइबर की मात्रा काफी ज्यादा होती है। कब्ज से राहत पाने के लिए एक गिलास दूध में अंजीर के कुछ टुकड़ों को उबालें और इसे रात को सोने से पहले पिएं। ध्यान रहे, गर्म दूध ही पिएं। साबुत अंजीर का सेवन मेडिकल शॉप में मिलने वाले कब्ज खत्म करने वाले सीरप से ज्यादा असरदार होता है।
नींद :
क्या आप को इस बात का कभी एहसास हुआ है कि जिन दिनों आपकी नींद अच्छे से पूरी नहीं होती, उस दौरान आपका पेट भी अच्छे से साफ नहीं होता? इसका जवाब है कि आपको नियमित रूप से नींद पूरी करनी चाहिये।
नींबू का रस

अक्सर वैद्य कब्ज से तुरंत राहत दिलाने के लिए नींबू के रस लेने को कहते हैं। एक गिलास गुनगुने पानी में नींबू और नमक मिलाकर सुबह खाली पेट पिएं। इससे आंतों में से शरीर का बेकार तत्व साफ होता है। इसके लिए एक गिलास गर्म पानी में एक छोटा चम्मच नींबू का रस मिलाएं और फिर चुटकी भर नमक मिलाकर इस जूस को सुबह फ्रेश होने से पहले पिएं। इससे शरीर का टॉक्सिन भी बाहर हो जाते है।

मिर्च :
बहुत ज्यादा मसालेदार भोजन खाने से बचना चाहिये। इसकी जगह पर आपको साबुत मिर्च का सेवन करना चाहिये।
अरंडी का तेल
अरंडी के तेल को सदियों से कब्ज से राहत पाने के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है। कब्ज खत्म करने के साथ यह पेट के कीड़े भी नष्ट करता है। खाली अरंडी के तेल को पीने से बेहतर रहेगा कि आप इसे रात को सोने से पहले दूध में मिलाकर पिएं। एक चम्मच से ज़्यादा न डालें। इससे अगले दिन पेट साफ रहेगा।
पानी :
प्रतिदिन सुबह एक गिलास गुनगुना पानी अवश्य पिएं।
संतरा
संतरा सिर्फ विटामिन सी का ही मुख्य स्रोत नहीं है, बल्कि इसमें फाइबर की भरपूर मात्रा होती है। रोज सुबह-शाम एक-एक संतरा खाने से कब्ज जैसी बीमारी में राहत मिलती है।
रेगुलर वर्कआउट :
रेगुलर एक्‍सरसाइज़ करने से पाचन क्रिया हमेशा दुरुस्त बनी रहेगी। शारीरिक रूप से सक्रिय रहें।

कैसे करे चेहरे को गोरा उसके लिए बेहतरीन आसान नुस्खे

कैसे करे चेहरे को गोरा उसके लिए बेहतरीन आसान नुस्खे



खूबसूरत चेहरा और हेल्दी स्किन के साथ ही यदि रंग गोरा हो तो ऐसा व्यक्ति अधिक आकर्षक लगता है। ऐसा हम भारतीयों का मानना है। शायद गोरा रंग हमें अधिक आकर्षित करता है, इसीलिए यदि किसी इंसान के नैन-नक्श अच्छे हैं, लेकिन उसका रंग ज्यादा गोरा नहीं है तो हम उसे बहुत सुंदर नहीं मानते, क्योंकि हमारे यहां गोरे रंग के प्रति लोगों का आकर्षण ज्यादा है।
इसीलिए लोग गोरे होने के लिए कॉस्मेटिक्स यूज करते हैं। यदि आपके साथ भी यही समस्या है और आप अपना रंग गोरा करने के लिए तरह-तरह के कॉस्मेटिक्स उपयोग करके थक चुके हैं तो घरेलू नुस्खे अपनाइए।
घरेलू नुस्खों को अपनाने से स्किन, हेल्दी, ग्लोइंग, फेयर हो जाती है और कोई रिएक्शन भी नहीं होता है। आज मैं बताऊंगा  कुछ ऐसे नुस्खे जिन्हें अपना लेने पर रंग साफ होने लगता है।
शहद- शहद त्वचा के लिए टॉनिक का काम करता है। शहद खाने से और लगाने से स्किन ग्लो करने लगती है। स्किन को गोरा बनाने के लिए एक छोटा चम्मच शहद लें। इसे चेहरे पर लगाएं।
से कम एक दिन में दो बार करें। दो हफ्ते में ही आपको अपने चेहरे का रंग साफ लगने लगेगा।
संतरा- संतरा विटामिन सी से भरपूर होता है। इसे स्किन के लिए बहुत अच्छा माना जाता है। संतरा खाने और लगाने से भी त्वचा सेहतमंद हो जाती है। त्वचा का रंग निखारने के लिए रोज संतरे का जूस चेहरे पर लगाएं। सूखने पर इसे धो लें। यदि चेहरे पर दाग-धब्बे हैं तो संतरे के छिलकों का उपयोग करें। संतरे के छिलकों को छांव में सुखाकर पाउडर बना लें। यह पाउडर एक चम्मच कच्चे दूध में मिलाकर चेहरे पर लगाएं। रंग निखरने लगेगा।
कच्चा दूध- दूध त्वचा के लिए टोनर का काम करता है। कच्चे दूध का चेहरे पर हल्के हाथों से मसाज करें। सूखने पर चेहरा धो लें। रंग गोरा हो जाएगा।
पपीता- वैसे तो पपीते की तासीर को गर्म माना जाता है, लेकिन स्किन के लिए यह बहुत फायदेमंद होता है। इसमें भरपूर मात्रा में एंटीऑक्सीडेंट और विटामिन ए होता है। इसीलिए पपीता खाने के साथ ही इसे लगाने के भी अनेक लाभ हैं।


स्किन को गोरा बनाने के लिए एक पपीता का टुकड़ा पीस लें। यह गाढ़ा पेस्ट अपने चेहरे पर लगाएं। एक घंटे तक यह पेस्ट चेहरे पर लगा रहने दें। फिर चेहरा धो लें। यह नुस्खा नियमित रूप से दोहराने पर रंग गोरा होने लगता है।
तुलसी- तुलसी ईश्वर का उपहार है। यह सिर्फ बीमारियों को ठीक नहीं करती है, बल्कि स्किन के लिए भी टॉनिक का काम करती है। तुलसी के कुछ पत्ते लेकर उनका जूस बना लें। इसका हल्के हाथों से चेहरे पर मसाज करें। कुछ देर रहने दें और फिर गुनगुने से पानी चेहरा धो लें। ऐसा रोज करने से धीरे-धीरे रंग गोरा होने लगता है।
गुलाब जल- गुलाब जल रंगत निखारने का सबसे आसान और सस्ता तरीका है। घर पर ही गुलाब जल बनाने के लिए गुलाब की पंखुड़ियों को पानी में डालें। जल्दी फायदे के लिए इसका पेस्ट बनाकर पानी में मिलाएं। एक दिन के लिए पानी में छोड़ दें। इस पानी से चेहरा धोने से चेहरे की रंगत गुलाबी होने लगती है।
हल्दी- आयुर्वेद में हल्दी को रंगत निखारने वाली सबसे बेहतरीन औषधि माना जाता है। दूध में एक चुटकी हल्दी मिलाकर चेहरे पर लगाने से भी रंगत निखरती है। बेसन के उबटन में हल्दी मिलाकर लगाने से भी चेहरा ग्लो करने लगता है।
दही- दही कई तरह के पोषक तत्वों से भरपूर है। दही खाने और लगाने, दोनों का फायदा चेहरे पर दिखाई देता है। रोज सुबह एक चम्मच दही लेकर चेहरे पर मसाज करें। सूखने के बाद चेहरा धो लें। इस नुस्खे को नियमित रूप से करने पर रंग गोरा हो जाता है और पिंपल्स भी खत्म हो जाते हैं।
खीरा- खीरा एक ऐसी गुणकारी फल है, जिसे सप्ताह में एक बार जरूर खाना चाहिए। साथ ही, खीरा स्किन के लिए भी बहुत लाभदायक माना जाता है। इसे खाने से शरीर की गर्मी छंट जाती है। स्किन को ग्लोइंग बनाने के लिए चेहरे पर खीरे का जूस बनाकर या खीरे का पेस्ट बनाकर लगाएं।
नींबू- नींबू स्किन के लिए एक चमत्कारी दवा की तरह काम करता हैं। रंग निखारने के लिए नींबू का रस चेहरे पर लगाएं। कुछ देर बाद चेहरा धो लें। नींबू के रस में टमाटर का रस मिलाकर लगाने से भी त्वचा की सफाई हो जाती है और रंग गोरा होने लगता है।
टमाटर- टमाटर एंटीऑक्सीडेंट व पोषक तत्वों से भरपूर होता है। इसीलिए यह स्किन के लिए बहुत फायदेमंद होता है। आप सांवले रंग से परेशान हैं तो टमाटर को पीसकर इसका पेस्ट चेहरे पर लगाएं। चेहरे के दाग-धब्बे दूर हो जाएंगे और रंग निखरने लगेगा।
दूध और केसर- यदि आप अपनी स्किन की केयर करने के लिए एक्सट्रा टाइम नहीं निकाल पाते हैं तो दूध और केसर का उपयोग करें। थोड़े से दूध में केसर की पत्तियों को पीस लें। इस दूध से चेहरे की मसाज करें। कुछ देर रहने दें। फिर चेहरा धो लें। रंग निखर जाता है और फेस ग्लो करने लगता है।


आलू- यदि आपके चेहरे पर काले धब्बे हैं तो आलू की स्लाइस लेकर हल्के-हल्के से मसाज करें। आलू का जूस चेहरे पर लगाएं। रोज इसे चेहरे पर लगाने से चेहरा निखर जाता है।
अंडा- अंडे का पीला भाग यानी जर्दी को चेहरे पर लगाने से रंग गोरा हो जाता है। अंडे में शहद और नींबू मिलाकर लगाएं। जब पैक सूख जाए तो ठंडे पानी से चेहरा धो लें। स्किन ग्लो करने लगेगी।
नारियल पानी- नारियल पानी बहुत ही गुणकारी होता है। इसीलिए रोजाना नारियल पानी पीने से चेहरा चमकने लगता है। नारियल पानी से चेहरा धोने से दाग-धब्बे दूर हो जाते हैं। नारियल का पेस्ट बनाकर चेहरे पर लगाने से रंग निखरने लगता है।
तरबूज- तरबूज का सेवन गर्मियों में बेहद फायदेमंद होता है। इसमें पानी और पोषक तत्वों की मात्रा बहुत अधिक होती है। इसके नियमित सेवन से शरीर में ताजगी और ठंडक बनी रहती है। तरबूज का छोटा टुकड़ा लेकर चेहरे पर मलें। एक घंटे तक लगा रहने दें और फिर चेहरा धो लें।

Tuesday, 15 November 2016

आज के समय की सबसे बडी समस्या मोटापा

आज के समय की सबसे बडी समस्या मोटापा है इससे बचने के कुछ उपाय.......
डेयरी प्रोडक्ट
अपने आहार में लो फैट दूध या दही को शामिल करें। दूध में फैट कम करने के लिए उसमें पानी मिलाने से बेहतर है कि मलाई उतार लें। पानी मिलाने से दूध में पोषक तत्व कम होते हैं, लेकिन उसकी वसा पर कोई खास असर नहीं पड़ता। सोया से बना पनीर , दूध और दही खा सकते हैं। जिन्हें दूध या सोया प्रॉडक्ट से एलर्जी है , वे राजमा , नींबू , टमाटर , मेथी , पालक , बादाम , काजू जैसी चीजें खाकर कैल्शियम की कमी पूरी कर सकते हैं।
मौसमी फल खाएं
मौसमी फलों का सेवन करना सेहत के लिए फायदेमंद होता है। अगर आप जूस के जगह साबुत फल खाएं तो बेहतर है। सेब और बेरी आदि लें। सेब में पेक्टिन केमिकल होता है। सेब के साथ - साथ ज्यादातर सभी फलों के छिलकों में पेक्टिन पाया जाता है। यह शरीर पर जमा फैट को कम करता है।
सोयाबीन और ड्राई फ्रूट्स
सोयाबीन में मौजूद लेसिथिन केमिकल सेल्स पर फैट जमा होने से रोकता है। हफ्ते में कम से कम तीन बार सोयाबीन खाने से शरीर में फैट से लड़ने की क्षमता बढ़ती है। सोयाबीन को अंकुरित करके रोज सुबह लिया जा सकता है। इसके अलावा लहसुन का रस शरीर में मौजूद फैट्स को कम करने में मददगार है। लहसुन कच्चा खाएं और चबाकर खाएं तो बेहतर है। साथ ही मुट्ठी भर नट्स रोज खाने चाहिए। इनमें बादाम , किशमिश , अखरोट और पिस्ता ले सकते हैं। लेकिन ये फ्राइड न हों और इनमें नमक भी नहीं होना चाहिए। 
भोजन से पहले फल
भोजन से पहले फल खाना एक अच्छा विकल्प है। किसी भी भारी भोजन से कम से कम 30 मिनट पहले फल खाने की सलाह दी जाती है। इस तरह, फल जल्दी पच जाएंगे। खाली पेट पर फल खाने से आपका सिस्टम विषरहित हो जाता है और वजन कम करने के लिए आपको ज्यादा ऊर्जा देता है।
सूप पिएं
भोजन की शुरुआत में सूप लें, क्योंकि यह आपकी भूख को नियंत्रित रखता है और खाना खाने की क्रिया को धीमा कर देता है। क्रीम युक्‍त सूप नहीं लें, यह वसा और कैलोरी में उच्च है।।।।
बाहर निकला हुआ पेट किसी को अच्छा नहीं लगता।
आइए करते हैं पेट अन्दर करने का उपाय....।
एक बरतन मे एक गिलास पानी गरम करें इसमेे आधा चम्मच अजवाइन, आधा चम्मच अदरक डाल कर उबाल ले जब पानी आधा बचे तो गिलास मे छान कर आधा नीबू का रस डाल कर दिन मे एक बार पियें।इससे बेट धीरे-धीरे कम हो जाये गा।।।।
(पाइलस से पीडित व्यक्ति इसे न पिये)

चावल के पानी में मौजूद प्रोटीन

चावल के पानी में मौजूद प्रोटीन, विटामिन और एंटी-ऑक्सीडेंट की पर्याप्त मात्रा के कारण यह त्वचा में नमी बरकरार रहती है। इसके इस्तेमाल से त्वचा की रंगत निखरती है। चेहरे के दाग-धब्बों और झुर्रियों दूर होते है। इसके अलावा माड़ से त्वचा में कसावट आती है और पोर्स टाइट होते हैं। इन खूबियों के चलते यह पानी एक अच्छा क्लींजर भी है।
इस्‍तेमाल का तरीका-----
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एक कप चावल को अच्‍छी तरह से साफ करके पानी में भिगो दें।
आधे घंटे के बाद जब चावल में मौजूद पोषक तत्‍व पानी में घुल जाये तो बर्तन को गैस में रख दें और चावल को पकने दें।
चावल पकने के बाद उसका माड़ निकाल लें और इसे ठंडा होने के लिए छोड़ दें।
फिर इस पानी से अपने चेहरे पर हल्के हाथों से मसाज करें।
मसाज करने के 10 मिनट बाद चावल के पानी से ही अपना चेहरा धोकर सूखे कपड़े से चेहरा पोंछ लें।
आपको तुरंत अपनी त्वचा में बदलाव नजर आने लगेगा।
बालों के लिए फायदेमंद-----
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त्‍वचा के साथ-साथ बालों के लिए भी चावल का पानी बहुत फायदेमंद होता है। अगर आप पतले और बेजान बालों की समस्‍या से परेशान है तो चावलों के पानी से बालों को धोये। चावल के पानी से बालों को धोने से बाल घने होने के साथ-साथ बालों में चमक भी बनी रहती है। चावल के पानी को अपने बालों में लगाकर 20 मिनट के लिए छोड़ दें। फिर शैम्‍पू और कंडीशनर से धो लें। आप महंगे ट्रीटमेंट के बिना पा सकते हैं, सुंदर और चमकीले बाल।
(लेकिन इस उपाय को अपनाने से पहले चिकित्‍सक से सलाह जरूर लें।)

Friday, 4 November 2016

दुनिया का सबसे विवादित मुद्दा जिसके बारे में मजाक उड़ाते हैं हम

दुनिया का सबसे विवादित मुद्दा
जिसके बारे में मजाक उड़ाते हैं हम
इतिहास में एक ऐसी भी अवस्था थी, जब स्त्री-पुरुष संभोग के सामाजिक नियम नहीं बने थे और न ही यौन शुचिता और नैतिकता का बोध विकसित हुआ था। संभोग क्रिया में रिश्ते-नाते नहीं देखे जाते थे, क्योंकि ऐसे संबंध उन दिनों बने ही नहीं थे। किसी भी स्त्री के साथ संभोग करना, पशुओं की तरह कहीं भी खुले में संभोग करना, अल्पवयस्क बालिकाओं को साथ संभोग करना और यहां तक कि पशुओं के साथ यौन क्रीड़ा करना आम बात थी। सेक्स स्वच्छंद एवं निर्बंध था।


सभ्यता के विकास के साथ सेक्स के संबंध में सामाजिक रीतियां विकसित हुईं और नैतिक मानदंड स्थापित हुए। इसे हम ऐतिहासिक समाजशास्त्रीय संदर्भ में समझ सकते हैं।



महाभारत के 'आदिपर्व' के 63वें अध्याय में पाराशर ऋषि और मत्स्यगंधा सत्यवती के बीच खुले में संभोग का वर्णन मिलता है। 'आदिपर्व' के 104वें अध्याय में यह वर्णन मिलता है कि उत्थत के पुत्र दीर्घतमा ने सब लोगों के सामने ही स्त्री के साथ संभोग शुरू कर दिया। इसी पर्व के 83वें अध्याय में गुरु-पत्नी के साथ संभोग करने, पशुओं के समान यौन क्रीड़ा करने वाले मलेच्छ लोगों का वर्णन भी मिलता है।
जब नहीं थे कोई रिश्ते-नाते, प्राचीन समाज में खुला था सेक्स व्यवहार


आधुनिक इतिहास में यह वर्णन मिलता है कि महाराजा रणजीत सिंह हाथी के हौदे में सबके सामने संभोग किया करते थे। पुणे में बाजीराव के जमाने में 'घटकंचुकी' नाम का एक खेल खेला जाता था। अभिजात वर्ग के चुने हुए स्त्री-पुरुष रंगमहल में जुटते थे। वहां औरतों की कंचुकियां (चोली) एक घड़े में डाली जाती थी और फिर जिस पुरुष को जिस स्त्री की कंचुकी हाथ लगती थी, वो सबके सामने उस स्त्री के साथ संभोग करता था।


इस प्रथा का प्रचलन कर्नाटक प्रदेश में आजादी मिलने के कुछ पहले तक था। सामूहिक संभोग (ग्रुप सेक्स) के ऐसे आयोजनों में उम्र अथवा रिश्ते-नाते का कोई विचार नहीं किया जाता था। ऐसा माना जाता है कि प्राचीन काल में तमिल लोग भी खुले में सबके सामने संभोग किया करते थे। इतिहास के जनक कहे जाने वाले हेरोडेट्स ने लिखा है कि शक लोगों को जब संभोग की इच्छा होती थी, तो वे रथ से अपना तरकश लटका खुले ...
...में काम-क्रीड़ा करते थे। वेदों में यज्ञभूमि पर सामूहिक रूप से संभोग करने के वर्णन मिलते हैं। 


कौटंबिक सेक्स (Incest) का उल्लेख पौराणिक ग्रंथों में काफी मिलता है। 'हरिवंश' में यह उल्लेख मिलता है कि महर्षि वशिष्ठ की पुत्री शतरूपा ने उन्हें पति माना और उनके साथ यौन संबंध बनाए। इसी ग्रंथ में यह उल्लेख है कि दक्ष ने अपनी कन्या अपने पिता ब्रह्मदेव को दी, जिससे नारद का जन्म हुआ। 'हरिभविष्य पर्व' के अनुसार इंद्र ने अपने पड़पोते जनमेजय की पत्नी वपुष्टमा के साथ संभोग किया। 'हरिवंश' में ही यह उल्लेख मिलता है कि सोम के पुत्र दक्ष प्रजापति ने अपनी कन्यायें पिता को दी। जब जनमेजय ने इसे अनैतिक कृत्य बताया तो महर्षि वैंशपायन ने कहा कि यह प्राचीन रीति है। 
महाभारत के 'आदिपर्व' में कहा गया है कि कामातुर स्त्री यदि एकांत में संभोग की इच्छा प्रकट करे तो उसे पूरा किया जाना चाहिए, नहीं तो धर्म की दृष्टि से यह भ्रूण हत्या होगी। उलूपी अर्जुन से स्पष्ट कहती है कि स्त्री की इच्छा पूर्ति लिए एक रात संभोग करना अधर्म नहीं। 


पौरव वंश की जननी उर्वशी अर्जुन पर कामासक्त हुई। उसने अर्जुन से कहा कि पुरु वंश के जो पुत्र या पौत्र इंद्रलोक में आते हैं, वे हमसे रति-क्रीड़ा करते हैं। यह अधर्म नहीं है। अर्जुन ने उसकी याचना स्वीकार नहीं की, तब उर्वशी ने उसे नपुंसक होने का शाप दिया। 'वनपर्व' में यह भी उल्लेख मिलता है कि महर्षि अगस्त्य ने अपनी कन्या को विदर्भ के राजा के पास रखा और जब वह विवाह-योग्य हुई तो स्वयं उसके साथ विवाह किया। 

ऋग्वेद के दसवें मंडल में यम-यमी संवाद उस समय प्रचलित यौन संबंधों की परिपाटी को समझने के लिए बहुत ही महत्त्वपूर्ण है। यमी अपने भाई से संभोग की इच्छा प्रकट करती है। यम के इनकार करने पर वह फिर आग्रह करती है और कहती है कि भाई के रहते बहन अनाथ रहे और उसे दुख भोगना पड़े तो भाई किस काम का? 

'किं भ्राता सद्यदानार्थ भवाति। 
किमु स्वसा यन्निर्ऋति र्नि गच्छात।।' 
स्पष्ट है, उस काल में भाई-बहन के रिश्ते पूरी तरह निर्धारित नहीं हुए थे। भ्रातृ शब्द भृ से निकला है, जिसका अर्थ है पालन करने वाला, भरण-पोषण करने वाला। बाद में इसी से अपभ्रंश भर्तार और भतार शब्द निकला, जिसका ...

...प्रयोग पति के लिए किया जाता है।

जब नहीं थे कोई रिश्ते-नाते, प्राचीन समाज में खुला था सेक्स व्यवहार

प्राचीन काल में यौन संबंधों के बारे में इतिहासकार लेर्तुनो ने लिखा है कि चिपेवे कभी-कभी अपनी माताओं, बहनों और पुत्रियों के साथ संभोग किया करते थे। कादिएकों में भाई-बहनों और पिता-पुत्रियों के बीच खुलेआम यौन संबंध प्रचलित थे। कारिब मां और बेटियों के साथ संभोग किया करते थे। प्राचीन आयरलैंड में भी मां एवं बहनों के साथ संभोग का प्रचलन था।


महाभारत के 'आदिपर्व' में उल्लेख है कि यौन संबंधों की सीमाओं का निर्धारण उद्दालक का पुत्र श्वेतकेतु करता है। एक ब्राह्मण जब संभोग करने के लिए उसकी माता का हाथ पकड़ता है तो वह क्रोधित हो जाता है, लेकिन उद्दालक कहता है कि स्त्रियों द्वारा उन्मुक्त संभोग करना धर्म यानी मान्य व्यवहार है।


समय के साथ, जैसे-जैसे सभ्यता विकसित होती है, यौन संबंधों का स्पष्ट निर्धारण और सीमांकन होने लगता है, पर महाभारत काल तक पूरी तरह ऐसा नहीं हो पाता। कर्ण शल्य की निंदा करते हुए मद्र देश (पंजाब) की औरतों के बारे में कहता है कि वहां की स्त्रियां किसी भी पुरुष से स्वेच्छा से संभोग करती हैं, चाहे वे उनके परिचित हों या नहीं। वे बेहूदा गाने गाती हैं, शराब पीती हैं और नग्न होकर नाचती हैं। वे वैवाहिक विधियों से नियंत्रित नहीं हैं। मद्र देश की कुमारियां निर्लज्ज और विलासिनी होती हैं। दुर्योधन ने कर्ण को अंग देश का शासक बनाया था, इसलिए शल्य कहता है कि अंग देश में औरतों और बच्चों की बिक्री होती है।

जब नहीं थे कोई रिश्ते-नाते, प्राचीन समाज में खुला था सेक्स व्यवहार

जाहिर है, यौन संबंधों का नियमन सभ्यता और संस्कृति के विकास के साथ क्रमिक रूप में हुआ। पर सेक्स की आदिम इच्छा समय-समय पर मनुष्य में बलवती हो जाती है। यही कारण है कि आज भी हम ऐसे यौन संबंधों के बारे में सुनते हैं, जिन्हें अवैध एवं अनैतिक कहा जाता है। कौटंबिक व्यभिचार की न जाने कितनी घटनाएं प्रकाश में आती हैं। सभ्य मनुष्य के लिए ऐसे संबंध गर्हित हैं, पर भूलना न होगा कि सेक्स एक आदिम प्रवृत्ति है। समाज जहां अति आधुनिक होता चला जा रहा है, वहीं सेक्स संबंधों का पूरी तरह नियमन ...
..हो चुका है। पर आदिम प्रवृत्तियां जब-तब सिर उठाती ही रहती हैं। 




सेक्स के अजीबोगरीब मानसिक रोग, जो इंसान को बना देते हैं पलभर में वहशी 


मनुष्य के यौन व्यवहार में एक से एक विचित्रताएं मिलती हैं। आदिम युग में मनुष्य पशुओं की तरह स्वच्छंद एवं उन्मुक्त संभोग करता था। उस ज़माने में न तो परिवार था और न ही सेक्स को लेकर किसी प्रकार की नैतिक अवधारणा का विकास हो पाया था। 



सेक्स सिर्फ जैविक आवश्यकताओं की पूर्ति भर था। समूह का कोई भी पुरुष किसी भी स्त्री के साथ यौन संबंध कायम कर लेता था। किसी के साथ संबंध बनाने पर कोई रोक-टोक नहीं थी। यह अलग बात है कि शारीरिक रूप से ताकतवर लोग ही मनचाही औरतों के साथ संबंध बना पाते थे, वहीं कमजोर औरतों को हासिल कर पाने में असफल हो जाते थे। 




सभ्यता के विकास के साथ यौन शुचिता और सेक्स व्यवहार के संबंध में नैतिक मानदंड विकसित हुए। पर सभ्यता के विकास के साथ ही, मनुष्य के सेक्स व्यवहार में कई तरह की विकृतियां भी सामने आने लगी। देखा जाये तो पहले जो स्वाभाविक था, सांस्कृतिक विकास के क्रम में वह अस्वाभाविक हो गया। 



मानव मन सेक्स के संबंध में बहुत ही कल्पनाशील होता है। उसकी कल्पनाएं एक से बढ़ कर एक और अजीबोगरीब होती हैं, पर वह उन्हें व्यवहारिक रूप नहीं देता, क्योंकि उस पर सामाजिक नैतिकता का बंधन होता है। 



जहां यह बंधन ढीला होता है अथवा व्यक्ति को अपनी गोपनीय सेक्स कल्पनाओं-फैंटेसी को पूरा करने का मौका मिलता है, वह सामान्य सेक्स व्यवहार से हट कर विकृत सेक्स व्यवहार का प्रदर्शन करने लगता है। 



पीपींग का मतलब है, चोरी-छुपे संभोगरत जोड़ों को देखना और इसी से यौन संतुष्टि प्राप्त करना। संभोगरत अवस्था में किसी को देखने से रोमांच की स्वाभाविक अनुभूति होती है। 



पीपींग एक आमफहम प्रवृत्ति है। एक हद तक इसे स्वभाविक भी कहा गया है। हेवलॉक एलिस ने अपनी पुस्तक 'साइकोलॉजी ऑफ सेक्स' में लिखा है कि बड़े-बड़े सम्मानीय लोग अपनी जवानी के दिनों में दूसरी औरतों को सेक्स करते हुए देखने के लिए उनके कमरों में ताकाझांकी किया करते थे। 

यही नहीं, सम्मानित मानी जाने वाली औरतें भी पर-पुरुषों के शयन कक्षों में झांकने ...
..ने लिखा है कि चिपेवे कभी-कभी अपनी माताओं, बहनों और पुत्रियों के साथ संभोग किया करते थे। कादिएकों में भाई-बहनों और पिता-पुत्रियों के बीच खुलेआम यौन संबंध प्रचलित थे। कारिब मां और बेटियों के साथ संभोग किया करते थे। प्राचीन आयरलैंड में भी मां एवं बहनों के साथ संभोग का प्रचलन था। 


महाभारत के 'आदिपर्व' में उल्लेख है कि यौन संबंधों की सीमाओं का निर्धारण उद्दालक का पुत्र श्वेतकेतु करता है। एक ब्राह्मण जब संभोग करने के लिए उसकी माता का हाथ पकड़ता है तो वह क्रोधित हो जाता है, लेकिन उद्दालक कहता है कि स्त्रियों द्वारा उन्मुक्त संभोग करना धर्म यानी मान्य व्यवहार है। 


समय के साथ, जैसे-जैसे सभ्यता विकसित होती है, यौन संबंधों का स्पष्ट निर्धारण और सीमांकन होने लगता है, पर महाभारत काल तक पूरी तरह ऐसा नहीं हो पाता। कर्ण शल्य की निंदा करते हुए मद्र देश (पंजाब) की औरतों के बारे में कहता है कि वहां की स्त्रियां किसी भी पुरुष से स्वेच्छा से संभोग करती हैं, चाहे वे उनके परिचित हों या नहीं। वे बेहूदा गाने गाती हैं, शराब पीती हैं और नग्न होकर नाचती हैं। वे वैवाहिक विधियों से नियंत्रित नहीं हैं। मद्र देश की कुमारियां निर्लज्ज और विलासिनी होती हैं। दुर्योधन ने कर्ण को अंग देश का शासक बनाया था, इसलिए शल्य कहता है कि अंग देश में औरतों और बच्चों की बिक्री होती है। 

जब नहीं थे कोई रिश्ते-नाते, प्राचीन समाज में खुला था सेक्स व्यवहार 

जाहिर है, यौन संबंधों का नियमन सभ्यता और संस्कृति के विकास के साथ क्रमिक रूप में हुआ। पर सेक्स की आदिम इच्छा समय-समय पर मनुष्य में बलवती हो जाती है। यही कारण है कि आज भी हम ऐसे यौन संबंधों के बारे में सुनते हैं, जिन्हें अवैध एवं अनैतिक कहा जाता है। कौटंबिक व्यभिचार की न जाने कितनी घटनाएं प्रकाश में आती हैं। सभ्य मनुष्य के लिए ऐसे संबंध गर्हित हैं, पर भूलना न होगा कि सेक्स एक आदिम प्रवृत्ति है। समाज जहां अति आधुनिक होता चला जा रहा है, वहीं सेक्स संबंधों का पूरी तरह नियमन हो चुका है। पर आदिम प्रवृत्तियां जब-तब सिर उठाती ही रहती हैं। 




सेक्स के अजीबोगरीब मानसिक रोग, जो इंसान को बना देते हैं पलभर में वहशी 


मनुष्य के यौन व्यवहार में एक से एक विचित्रताएं मिलती हैं। आदिम युग में मनुष्य पशुओं की तरह स्वच्छंद एवं ...
.उन्मुक्त संभोग करता था। उस ज़माने में न तो परिवार था और न ही सेक्स को लेकर किसी प्रकार की नैतिक अवधारणा का विकास हो पाया था।



सेक्स सिर्फ जैविक आवश्यकताओं की पूर्ति भर था। समूह का कोई भी पुरुष किसी भी स्त्री के साथ यौन संबंध कायम कर लेता था। किसी के साथ संबंध बनाने पर कोई रोक-टोक नहीं थी। यह अलग बात है कि शारीरिक रूप से ताकतवर लोग ही मनचाही औरतों के साथ संबंध बना पाते थे, वहीं कमजोर औरतों को हासिल कर पाने में असफल हो जाते थे।




सभ्यता के विकास के साथ यौन शुचिता और सेक्स व्यवहार के संबंध में नैतिक मानदंड विकसित हुए। पर सभ्यता के विकास के साथ ही, मनुष्य के सेक्स व्यवहार में कई तरह की विकृतियां भी सामने आने लगी। देखा जाये तो पहले जो स्वाभाविक था, सांस्कृतिक विकास के क्रम में वह अस्वाभाविक हो गया।



मानव मन सेक्स के संबंध में बहुत ही कल्पनाशील होता है। उसकी कल्पनाएं एक से बढ़ कर एक और अजीबोगरीब होती हैं, पर वह उन्हें व्यवहारिक रूप नहीं देता, क्योंकि उस पर सामाजिक नैतिकता का बंधन होता है।



जहां यह बंधन ढीला होता है अथवा व्यक्ति को अपनी गोपनीय सेक्स कल्पनाओं-फैंटेसी को पूरा करने का मौका मिलता है, वह सामान्य सेक्स व्यवहार से हट कर विकृत सेक्स व्यवहार का प्रदर्शन करने लगता है।



पीपींग का मतलब है, चोरी-छुपे संभोगरत जोड़ों को देखना और इसी से यौन संतुष्टि प्राप्त करना। संभोगरत अवस्था में किसी को देखने से रोमांच की स्वाभाविक अनुभूति होती है।



पीपींग एक आमफहम प्रवृत्ति है। एक हद तक इसे स्वभाविक भी कहा गया है। हेवलॉक एलिस ने अपनी पुस्तक 'साइकोलॉजी ऑफ सेक्स' में लिखा है कि बड़े-बड़े सम्मानीय लोग अपनी जवानी के दिनों में दूसरी औरतों को सेक्स करते हुए देखने के लिए उनके कमरों में ताकाझांकी किया करते थे।

यही नहीं, सम्मानित मानी जाने वाली औरतें भी पर-पुरुषों के शयन कक्षों में झांकने की कोशिश किया करती थीं।




सैम्बियन्स, पपुआ न्यू गिनी (वीर्य पीने वाले आदिवासी)

इस आदिम जनजाति में मर्द बनने के लिए सात साल की उम्र से ही महिलाओं के साथ उठना-बैठना बंद करना होता है और अगले दस सालों तक बड़े पुरुषों की संगति लेनी होती है। इतना ही नहीं, बड़े लोगों की तरह सोचने और ताकत पाने के लिए यह उनका वीर्य भी निगल लेते ...
...हैं। हमेशा नाक से खून निकलता रहे, इसके लिए हर रोज अधिक मात्रा में गन्नों को चूसना होता है। नाक से खून कुछ इस तरह निकलता है, जैसे औरतों को मासिक धर्म होता है। 

Thursday, 3 November 2016

ये हैं कामेच्‍छा बढ़ाने वाले एक्‍यूप्रेशर प्‍वॉइंट

ये हैं कामेच्‍छा बढ़ाने वाले एक्‍यूप्रेशर प्‍वॉइंट

लिबिडो यानी कामेच्‍छा अगर शांत हो जाये तो उसमें जान डालने उसे बढ़ाने के लिए एक्‍यूप्रेशर तकनीक का सहारा ले सकते हैं, 



    लिबिडो कामेच्छा बढ़ाने वाला एक जरूरी हार्मोन है जिसकी कमी से इंसान में कामेच्छा की इच्छा कम हो जाती है। अगर आपमें अचानक से कामेच्छा की इच्छा कम हो जाती है तो कुछ अल्टरनेटिव थैरेपी इस्तेमाल करें। अल्टरनेटिव थैरेपी में एक्यूप्रेशर प्वाइंट का इस्तेमाल सबसे अधिक फायदेमंद होता है। लिबिडो बढ़ाने के लिए एक खास एक्यूप्रेशर प्वाइंट होता है जाता प्रेशर डाल कर कामेच्छा बढाई जा सकती है।

    चाइनीज थैरेपी एक्यूप्रेशर प्वाइंट बहुत सारी बीमारियों को ठीक करने के लिए उपयोग की जाती है। अगर आपको अपनी कामेच्छा से संबंधित समस्या के बारे में किसी को भी बताने में शर्म आ रही है तो इस एक्यूप्रेशर प्वाइंट का इस्तेमाल करें।
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लो लिबिडो के कारण

    40 फीसदी महिलाओं की ये शिकायत होती है कि उन्हें रजोनिवृत्ति के बाद कामेच्छा खत्म हो जाती है। ऐसा केवल वजाइना के सूखने के कारण होता है जो कि लिबिडो हार्मोन की कमी से होता है। इसके लिए इस एक्यूप्रेशर प्वाइंट में प्रेशर डालकर लिबिडो हार्मोन को शरीर में रीलिज करने में मदद मिलेगी।

    इसी तरह 50 फीसदी पुरुषों में 30 की उम्र के बाद टेस्टोस्टेरोन लेवल कम हो जाता है जो 70 की उम्र तक बिल्कुल खत्म हो जाता है। जैसे-जैसे पुरुषों में टेस्टोस्टेरोन लेवल कम होते जाता है उनकी कामेच्छा की इच्छा भी खत्म होती जाती है। ऐसे पुरुषों के लिए भी ये एक्यूप्रेशर प्वाइंट वाला उपाय कारगर होगा।


लिबिडो एक्यूप्रेशर प्वाइंट

    एक्यूप्रेशर थैरेपी के जरिये शरीर में लिबिडो हार्मोन को बढ़ाने में मदद मिलेगी। शरीर में लिबिडो एक्यूप्रेशर प्वाइंट दो जगह होते हैं। 
    • स्टोमक प्वाइंट - शरीर में लिबिडो हार्मोन बढ़ाने के लिए पेट में नाभी की जगह पर उंगुलियों के पोर से चार-पांच मिनट तक प्रेशर डालते रहें। इसी तरह से प्रेशर डालते हुए नाभी से दो उंगुली नीचे जाएं। थोड़ी देर वहां पर प्रेशर डालें। ऐसा सुबह-शाम दस-दस मिनट के लिए करें। इससे लिबिडो हार्मोन शरीर में रीलिज होगा और आपमें कामेच्छा उत्पन्न होगी।  
    • किडनी प्वाइंट - किडनी आपके शरीर का सबसे अधिक प्रोडक्टिव पार्ट है जिसके आधार पर शरीर की जीवन-क्रिया चलती है। लिबिडो हार्मोन के लिए किडनी प्वाइंट काफी हेल्पफुल है। किडनी प्वाइंट एंकल बोन में होती है। एंकल प्वाइंट पर उंगुलियों के पोर से प्रेशर डालें। इससे एचिल्स टेंडन पर प्रेशर पड़ता है जो किडनी से जुड़ी होती है। ये आपको रिलेक्स करता है और शरीर में लिबिडो हार्मोन रीलिज करता है।